कभी सोचा है आपने, आपकी मुस्कान, गुस्सा या फिर उदासी बिना कुछ कहे सिर्फ एक छोटे से आइकन से कैसे बयां हो जाती है?..आप एक-दूसरे से बात भी नहीं कर रहे हैं, टेक्स्ट मैसेज भी नहीं कर रहे हैं.फिर आपकी फीलिंग को सामने वाला कैसे समझ लेता है...कोई तो जादू है. जो आप हर रोज कर रहे हैं.ये जादू कहीं और का नहीं बल्कि इमोजी का है.इमोजी जो आज सिर्फ एक डिजिटल आइकन नहीं, बल्कि जज्बातों की ज़ुबान बन चुका है. आज हम इमोजी की बात इसलिए कर रहे हैं क्योंकि आज है वर्ल्ड इमोजी डे...ये हर साल 17 जुलाई को दुनिया भर में मनाया जाता है और इसका मकसद एक आइडिया, जिसने दुनिया को मुस्कुराना सिखाया...इमोजी का जन्म हुआ जापान में हुआ और इसके पीछे थे एक बेहद क्रिएटिव इंसान शिगेताका कुरीता. हैरानी की बात ये है कि उन्होंने न तो कोई डिज़ाइनिंग सीखी थी, न इंजीनियरिंग बल्कि वो अर्थशास्त्र के छात्र था.
साल 1999, उम्र सिर्फ 25 साल और मन में एक सवाल...जब मोबाइल मैसेज की जगह इतनी सीमित हो, तो अपने जज्बात कैसे जताएं? बस, यहीं से उन्हें आइडिया आया कि क्यों न कुछ छोटे-छोटे आइकन बनाए जाएं, जो शब्दों की जगह बोलें?
और यहीं से बना पहला इमोजी का सेट....176 सिंपल लेकिन असरदार इमोजी.ये इतना पॉपुलर हुआ कि न्यूयॉर्क के म्यूजियम ऑफ मॉडर्न आर्ट में आज भी उसकी जगह है
और इसतरह इमोजी बनी 'युवा दिलों की भाषा'.धीरे-धीरे इंटरनेट ने रफ्तार पकड़ी, और इमोजी बन गए हर चैट का हिस्सा.शब्द कम होने लगे, इमोजी ज़्यादा.P“I’m happy” लिखने की जग असरदार लगने लगा.
और इसी पॉपुलैरिटी की वजह से 2013 में “इमोजी” शब्द को ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी में जगह मिली, और 2015 में (Face with Tears of Joy) को “Word of the Year” तक घोषित कर दिया गया.
पर सवाल ये है कि आखिर कौन तय करता है कि कौन-सी नई इमोजी आएगी? अब सवाल ये भी कि इतनी सारी इमोजी आती कहां से हैं? कौन बनाता है इन्हें? तो जवाब है."Unicode Consortium", एक गैर-लाभकारी संस्था जो तय करती है कि कौन सी नई इमोजी बनेगी, उसका डिज़ाइन कैसा होगा, और उसे कब रिलीज़ किया जाएगा.
गूगल, ऐपल, माइक्रोसॉफ्ट जैसी बड़ी कंपनियां भी इसका हिस्सा हैं.
हर साल हज़ारों आवेदन आते हैं नई इमोजी के लिए, लेकिन कुछ ही को मंजूरी मिलती है.वहीं ऐसा इमोजी को हर कोई पसंद कर रहो ऐसा बिल्कुल भी नहीं है.कई जगह ये बैन भी है.
इमोजी बनाना सिर्फ डिज़ाइन नहीं, एक सोच और रिसर्च का काम है ताकि हर संस्कृति, हर समाज, हर भावना को बराबर जगह मिले.तो अगली बार जब आप स्माइली,हार्ट या कोई भी इमोजी भेजें, तो याद रखिए.ये सिर्फ एक आइकन नहीं, एक कहानी है.आपकी, मेरी और हम सबकी.7
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