क्या आपने कभी गौर किया है? वृंदावन के प्रसिद्ध बांके बिहारी मंदिर में एक भी घंटी नहीं बजती. ना घंटा, ना घड़ियाल, और ना ही शंख की तेज ध्वनि. ऐसा माना जाता है कि घंटियों की तेज आवाज बाल गोपाल को परेशान कर सकती है. इसलिए यहां सालों से एक विशेष परंपरा निभाई जा रही है,पूर्ण शांति में पूजा.
वृंदावन का बांके बिहारी मंदिर. एक ऐसा स्थान जहां हर दिन लाखों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है इस भव्य मंदिर में एक भी घंटी क्यों नहीं है?
इसका कारण है, ठाकुर जी का बाल स्वरूप, यहां बांके बिहारी जी को नटखट बालक के रूप में पूजा जाता है. माना जाता है कि घंटियों की तेज आवाज ठाकुर जी को परेशान कर सकती है. इसलिए यहां न घंटी बजती है न घड़ियाल.
यह परंपरा सदियों से चली आ रही है और आज भी इसका पालन पूरे सम्मान के साथ किया जाता है. यही कारण है कि बांके बिहारी मंदिर में मंगला आरती भी रोज़ नहीं होती. क्योंकि ठाकुर जी को चाहिए सिर्फ शांति और स्नेह. जहां शोर नहीं, वहीं सच्चा प्रेम बोलता है.
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