हृदय की पवित्रता ईश्वर को भी आकर्षित करती है. एक सच्चे अनुयायी को चरित्र निर्माण पर ध्यान देना चाहिए. बिना इसके हम ईश्वर की अपने भीतर अनुभूति नहीं कर सकते हैं. यह तभी संभव है जब हर समय हम अपने विचारों को लेकर सजग रहते हैं. यह विचार शिक्षाविद एवं हार्टफुलनेस रिसर्च सेंटर मैसूर के डायरेक्टर डॉ. मोहन दास हेगड़े ने भवानीपुर (मंधना) स्थित हार्टफुलनेस के ध्यान केंद्र में रविवार को सामूहिक सत्संग में रखे.
उन्होंने कहा कि हम सब विचारों के साथ जीते हैं. ये कभी अपने होते हैं या कभी पराय, दूसरों से जुड़े होते हैं. विचारों की पवित्रता जरूरी है. यह सिर्फ आध्यात्मिक मार्ग पर चलने वालों के लिए ही जरूरी नहीं है, विचारों की शुद्धता सबके लिए है. सावधान रहें, सांसारिक कार्यकलापों और अपनी जिम्मेदारियों को निभाते समय भी यह शुद्धता बनी रहनी चाहिए. यह नियमित साधना से ही संभव है.
सुबह का ध्यान, शाम को दिनभर के कार्यकलापों से पड़ी छापों को सफाई की प्रक्रिया से हटाना और प्रार्थना कभी नहीं छूटे. डायरी लेखन एक अच्छी आदत है. यह हमारी आध्यात्मिक हालत को बयान करता है.
अनुशासन बहुत जरूरी है. शिष्य वही है, जो अनुशासित है. ज़ोनल समन्वयक शालिनी श्रीवास्तव ने धन्यवाद ज्ञापित. इस दौरान 400 से अधिक अनुयायी उपस्थित रहें.
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