ग्रैंड मुफ्ती की मध्यस्थता से टली भारत की नर्स निमिषा प्रिया की फांसी, इस्लाम की रहमत की सीख ने दिलाई राहत

 भारत की नर्स निमिषा प्रिया को यमन में दी जाने वाली सजा-ए-मौत फिलहाल टल गई है। 16 जुलाई को तय इस फांसी की तारीख से एक दिन पहले यह राहतभरी खबर सामने आई। यह संभव हो सका केरल के ग्रैंड मुफ्ती शेख अबू बकर मुसलियार के मानवीय हस्तक्षेप से, जिन्होंने इस्लाम की रहमत और इंसानियत की सीख का हवाला देते हुए यमन के अधिकारियों से अपील की।



सूत्रों के अनुसार, इस पहल में भारत सरकार की भी भूमिका रही, जिसने मुफ्ती अबू बकर के जरिए ‘ब्लड मनी’ के विकल्प पर बातचीत का रास्ता खोला। ग्रैंड मुफ्ती ने इस्लाम में माफी, दया और इंसान को दूसरा मौका देने की शिक्षाओं का हवाला देते हुए यमन के धार्मिक और प्रशासनिक अधिकारियों से अनुरोध किया। उन्होंने बताया कि इस्लाम केवल सजा का धर्म नहीं है, बल्कि तौबा और सुधार की राह भी दिखाता है।


इस दखल के बाद अब निमिषा प्रिया के वकीलों और परिजनों को समय मिलेगा ताकि वे मृतक तलाल आबदो मेहदी के परिजनों से 'ब्लड मनी' यानी खूनबहा के जरिए समझौते की कोशिश कर सकें। यह समझौता अगर सफल होता है, तो निमिषा की फांसी हमेशा के लिए रुक सकती है।


गौरतलब है कि निमिषा प्रिया को 2017 में यमन में अपने साझेदार की हत्या के आरोप में दोषी ठहराया गया था। यह मामला लंबे समय से भारत में संवेदनशील मुद्दा बना हुआ है, और अब जब इस्लाम की करुणा पर आधारित एक पहल से उनकी जान बचने की उम्मीद जगी है, तो यह न सिर्फ कानूनी बल्कि धार्मिक दृष्टिकोण से भी अहम मोड़ बन गया है।

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