आपको अगर अपने विषय में रूचि नहीं है तो आप आने वाली पीढ़ी को खंडहर बना रहे हैं. शिक्षा देने के साथ-साथ अपने विषय के बारे में और गहराई से जानने और सीखने की प्रक्रिया कभी बंद नहीं होनी चाहिए. आज की पीढ़ी बहुत कुशाग्र है. किताबों में सब लिखा है. रटा-रटाया ज्ञान उन्हें प्रभावित नहीं कर सकता है. छात्रों की जिज्ञासाओं को संतृप्त करने के लिए शिक्षकों को अपने अपने विषय से संबंधित नए नए तथ्यों और संभानाओं से हमेशा अपडेट रहना पड़ेगा.
यह विचार शिक्षाविद एवं हार्टफुलनेस रिसर्च सेंटर 'मैसूर' के डायरेक्टर डॉ. मोहन दास हेगड़े ने जागरण इंस्टिट्यूट (साकेत नगर) के सभागार में आयोजित 'हार्टफुलनेस फॉर सेल्फ ट्रांसफार्मेशन' विषय पर आयोजित कार्यशाला में प्रबंधन संकाय के छात्र-छात्राओं और स्टॉफ के समक्ष रखे.
उन्होंने बताया कि अगर आप अपने कार्य और कर्म से ऊबने लगें हैं तो आप समझ जाएं कि आप ठहर गए हैं. विकास का क्रम रुक गया है. अपने बचपन की रूचि या हुनर को जीवंत बनाएं रखें. विकास की यात्रा रुकने पर ये गति देने का काम करेंगे. जीवन में कभी ठहराव नहीं आना चाहिए. हर एक के पास हुनर है. भ्रम और आलस्य हमें आगे नहीं बढ़ने देता है.
अच्छे कार्य जल्द से जल्द कर लेना चाहिए. उसे कल पर नहीं टालना चाहिए. यही हमारे अधूरे कार्य तनाव पैदा करते हैं. नकारात्मकता संक्रामक है. समाज के प्रति हमें अपने दायित्व को निभाते रहना चाहिए. हार्टफुलनेस की ध्यान पद्धति आपको ट्रांसफार्म करने में मदद करेगी. हम सब का अपना अपना औरा है. ध्यान के अभ्यास से आप कुछ ही दिनों में अपने अंदर अनेक परिवर्तनों को महसूस करने में समर्थ हो जाएंगे. इस मौके पर हार्टफुलनेस संस्थान कानपुर की समन्वयक शालिनी श्रीवास्तव, संस्था के ध्यान ट्रेनर आदि उपस्थित रहे.
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