क्या है शरद पूर्णिमा की चांदनी रात का रहस्य, जानते हैं आप?

पूर्णिमा तो हर महीने आती है. लेकिन अश्विन महीने की पूर्णिमा कुछ खास होती है. शरद पूर्णिमा इसे चंद्रमा की सबसे सुंदर रात भी कहा जाता है.मान्यता है कि इसी दिन समुद्र मंथन से मां लक्ष्मी प्रकट हुई थीं. इसलिए इस दिन को मां लक्ष्मी का जन्मोत्सव भी कहा जाता है.
इस रात चंद्रमा अपनी सोलह कलाओं से परिपूर्ण होता है. कहा जाता है कि उसकी किरणों में अमृत तत्व होता है. इसलिए इस रात खीर को चांदनी में रखकर भोग लगाया जाता है और फिर प्रसाद के रूप में ग्रहण किया जाता है. श्रीकृष्ण ने भी इसी रात महारास रचाया था इसलिए इसे रास पूर्णिमा भी कहते हैं.
इस रात मां लक्ष्मी धरती पर भ्रमण करती हैं और पूछती हैं ‘को जागर्ति?’ यानी कौन जाग रहा है. जो जागते हैं, उन्हें लक्ष्मी कृपा का वरदान मिलता है.
शरद पूर्णिमा 2025–6 अक्टूबर
चंद्रोदय–शाम 5:27 बजे
पूर्णिमा तिथि–6 अक्टूबर दोपहर 12:23 से 7 अक्टूबर सुबह 9:16 तक
तो इस शरद पूर्णिमा खीर बनाएं, चांदनी में रखें और मां लक्ष्मी का स्वागत करें.

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ