'खुद' से मिलना भूले, चेहरे की मुस्कुराहट व्हाट्सअप स्माइली बन गई

 भारतीय संस्कृति की खूबसूरती संयुक्त परिवार है. व्यावसायिकरण और अस्वस्थ प्रतिस्पर्धा से परिवार बिखर रहे हैं. शादी संबंध पैकेज देखकर हो रहे हैं. कुछ जगहों पर पति-पत्नी अच्छे पोस्ट पर हैं, पैकेज करोड़ों में है. दोनों में बन नहीं रही है. बड़े-बड़े बच्चें हैं, तलाक के लिए कोर्ट पहुंच गए हैं. सजा बच्चों को भुगतनी पड़ रही है. यही नहीं, सारी समस्याओं, विघटन एवं अशांति की वजह भी दिमागी प्रदूषण है. यह अप्रकृतिक है, हमारी उत्पत्ति है. आनंद और शांति प्राकृतिक है. अप्रकृतिक को अपने अंदर से हटाना है. हार्टफुलनेस की अद्भुत पद्धति क्लीनिंग और प्राणाहुति के साथ ध्यान आपके भीतर जो भी अप्रकृतिक है, उसे हटाकर आपको सहज और सरल बनाने में मदद करेगी. 
ये विचार हार्टफुलनेस रिसर्च सेंटर, मैसूर के डायरेक्टर डॉ. मोहनदास हेगड़े ने मर्चेट चेंबर में 'लाइफ इन ए क्वेस्ट ऑफ हैप्पीनेस' विषय पर आयोजित कार्यशाला में रखे. कहा-आनंद, ख़ुशी और शांति वस्तुओं और करोड़ों के पैकेज में नहीं है. हम मुस्कुराना तक भूल गए हैं. अपने प्रियजनों को व्हाट्सअप पर स्माइली भेजते हैं.  आहार-व्यवहार और रहन-सहन में अप्रकृतिकता की ओर बढ़ने से मानसिक और सामाजिक अस्थिरता बढ़ेगी. ध्यान से हमारा मस्तिष्क अनुशासित होता है. 
स्व: अनुशासन लाना चाहिए
हमने अपने दिमाग को बहुत प्रदूषित किया है. दूसरों की गाड़ी बंगला देखकर नई-नई इच्छाओं को भीतर पैदा करते रहते हैं. यह भी अशांति का कारण है. स्व: अनुशासन लाना चाहिए. अपनी गलत सोच पर लगाम लगाना होगा. 
दुःखी रहना है हमारी उत्तप्ति
दुःख का सबसे बड़ा कारण खुद (उच्च स्व:) से नहीं मिलना है. कुछ देर के लिए अपने आप से बात करें. आत्मावलोकन के लिए समय जरूर निकालें. आप बहुत सी समस्याओं से मुक्त होने लगेंगे. 
बदलाव का मौका सबको मिलता है
हम सबको बदलाव का मौका मिलता हैं. भौतिकता में अतिव्यस्तता के कारण हम भीतर से प्राप्त मार्ग दर्शन को सुन नहीं पाते हैं. पूरी जिंदगी रोते रहते हैं. ईश्वर भी तब हमारे ऊपर कृपा नहीं करता है. आनंद ही ईश्वरीय कृपा को आकर्षित कर सकता है. 
संस्कृति दुनिया से चलती है...
आध्यात्मिकता के प्रति पश्चात देशों में रुझान बढ़ा है. हमने विश्व ध्यान दिवस मनाया. ध्यान पर कई रिसर्च हो रहे हैं. कुरुकुल पद्धति को फिर से अपनाया जा रहा है. मैंगलूर के एक स्कूल में 64 विषय पढ़ाए जाते हैं, जिसमें पाकशाला और कृषि भी शामिल है.

हेल्थ एंड लाइफस्टाइल मैनेजमेंट कमेटी की ओर से आयोजित कार्यशाला की शुरुआत प्रो. मोहनदास हेगड़े, समन्वयक शालिनी श्रीवास्तव, डॉ. अवध दुबे, मुकुल टंडन, बीके लाहोटी, सुधींद्र जैन ने दीप जलाकर किया। 
 डॉ. उमेश पालीवाल ने सभी अतिथियों, वक्ताओं एवं प्रतिभागियों के प्रति आभार व्यक्त किया। 

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