हर आत्मा अपने में दिव्य है। राम भक्त हनुमान जी की तरह पंच-विभूतों पर विजय प्राप्त करके खुद को विकसित करने का निरंतर प्रयास करते रहना चाहिए। यह विचार शिक्षाविद एवं हार्टफुलनेस रिसर्च सेंटर 'मैसूर' के डायरेक्टर डॉ. मोहन दास हेगड़े ने डीएवी कॉलेज के सभागार में 'कार्यस्थलीय आध्यात्मिकता एवं तनाव प्रबंधन' विषय पर आयोजित कार्यशाला में रखे.
अपने सम्बोधन में उन्होंने कहा कि हर एक के जीवन में सुख और दुःख हैं। अगर दुःख है तो हमें रो-रोकर जीवन व्यतीत नहीं करना चाहिए. ईश्वर की कृपा उसी पर होती है, जो भीतर से आनंदित और शांत है। हर समय शिकायत करने वाले और नकारात्मकता में रहने वाले कृपा नहीं, बीमारियां ले लेते हैं. नेचुरोपैथी चिकित्सक मानते हैं कि अगर आप किसी से ईर्ष्या रखते तो एसीडिटी, गुस्सा करते हैं तो ब्लड प्रेशर और बोनस में मधुमेह, अगर गुस्सा करते हैं तो माइग्रेन जैसी बीमारियों को आमंत्रित कर रहें हैं. आज की तनाव पूर्ण जीवनशैली के मद्देनजर हार्टफुलनेस योग-ध्यान औषधि है.
अगर आप योग और ध्यान कर रहें हैं तो आप अपने अंदर इन्वेस्ट कर रहे हैं. इग्नोरन्स अंधकार है. दुनिया पूरा अंधेरा है, हृदय में हमें ईश्वरीय प्रकाश को जगाना है.
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