AI बना नई सदी का हथियार
अब युद्ध केवल मिसाइलों और लड़ाकू विमानों तक सीमित नहीं है। आधुनिक दौर में AI आधारित वॉरफेयर और साइबर हमले निर्णायक भूमिका निभा रहे हैं। भारत-पाकिस्तान और इजरायल-ईरान के हालिया संघर्षों में यही बदलाव साफ तौर पर देखा गया।
इजरायल का 'ऑपरेशन राइजिंग लायन'
जून 2025 में इजरायल ने ईरान पर "Operation Rising Lion" लॉन्च किया। इसमें HUMINT, SIGINT और AI कंट्रोल्ड क्लोज्ड-लूप टारगेटिंग सिस्टम का प्रयोग किया गया। इजरायली ड्रोन और अग्नि नियंत्रण प्रणाली ने मिनटों में परमाणु संयंत्रों और हथियार ठिकानों को नष्ट किया। साथ ही साइबर हमलों के जरिए ईरान की वित्तीय और जल आपूर्ति प्रणालियों को भी ठप किया गया।
भारत का 'ऑपरेशन सिंदूर'
6-7 मई, 2025 की रात, पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में भारत ने "Operation Sindoor" शुरू किया। भारत ने सशस्त्र ड्रोन, बैलिस्टिक मिसाइल और AI-आधारित इंटेलिजेंस सिस्टम से पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों पर निशाना साधा।
भारत ने सैटेलाइट तस्वीरों और वीडियो के जरिए अंतरराष्ट्रीय मंच पर यह साबित किया कि हमले आतंकी ठिकानों पर हुए थे — यह दिखाता है कि नैरेटिव कंट्रोल अब युद्ध का हिस्सा बन चुका है।
रणनीतिक साझेदारी और भविष्य
इजरायली रिपोर्ट्स का कहना है कि इन अभियानों से दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी और AI युद्ध क्षमताओं की साझा दिशा उजागर हुई है। यह दौर बताता है कि AI, साइबर कंट्रोल और सूचना युद्ध ही भविष्य के युद्धों की वास्तविक परिभाषा होंगे
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