आजकल AI टूल्स की मदद से जटिल काम भी मिनटों में निपटाए जा रहे हैं, लेकिन सवाल उठता है – क्या इसकी सुविधा हमारे दिमाग को नुकसान पहुंचा रही है? MIT के एक हालिया अध्ययन में पाया गया कि AI की मदद से काम करने वालों की रचनात्मकता और ध्यान से जुड़ी ब्रेन एक्टिविटी कम हो जाती है।
EEG स्कैन से पता चला कि जो छात्र ChatGPT जैसे टूल्स का इस्तेमाल कर रहे थे, वे न सिर्फ कम क्रिएटिव थे, बल्कि अपने ही लिखे लेख को सही ढंग से याद भी नहीं रख पाए।
Microsoft Research के अनुसार, AI यूज़र्स में से ज्यादातर लोग ‘ऑटो मोड’ में काम कर रहे थे, जिससे सोचने-समझने की आदत घटती जा रही है।
स्विट्ज़रलैंड के एक अध्ययन में भी पाया गया कि AI पर ज़्यादा निर्भरता क्रिटिकल थिंकिंग को कमजोर करती है। इसे “Cognitive Offloading” कहा जाता है – यानी दिमाग सोचने का काम टाल देता है।
विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि AI को सहायक बनाएं, निर्णायक नहीं। AI से जवाब लेने की बजाय, सोचने की प्रक्रिया में उसका इस्तेमाल करें। तभी हम मानसिक सक्रियता को बनाए रख पाएंगे।
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