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भारत के चार धाम : चार धाम यात्रा का भारतीय संस्कृति में विशेष महत्व है। इन चार पवित्र स्थलों – बद्रीनाथ, द्वारका, जगन्नाथ पुरी और रामेश्वरम – की यात्रा करना प्रत्येक हिंदू के लिए जीवन में एक बार आवश्यक माना जाता है। आदि शंकराचार्य ने इन धामों की स्थापना की थी, जो हिंदू धर्म के अद्वैत दर्शन को दर्शाती है। इन तीर्थ स्थलों की पवित्रता और उनके इतिहास में गहराई से जुड़े रहस्यमय तथ्य श्रद्धालुओं के मन में विशेष स्थान रखते हैं।
बद्रीनाथ धाम, उत्तराखंड
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बद्रीनाथ धाम उत्तराखंड के अलकनंदा नदी के तट पर स्थित है और नर-नारायण पर्वत श्रेणियों के बीच बसा हुआ है। यह स्थान हिंदू मान्यताओं के अनुसार विष्णु भगवान को समर्पित है। ‘बद्रीनाथ’ नाम का अर्थ है ‘बद्री’ या बेर का वृक्ष और ‘नाथ‘ यानी भगवान। यह यात्रा नीलकंठ पर्वत की छाया में होती है और हर साल लाखों श्रद्धालु इस धाम की यात्रा पर आते हैं।
द्वारका, गुजरात (भारत के चार धाम)
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गुजरात में स्थित द्वारका भगवान कृष्ण की नगरी के रूप में जानी जाती है। (भारत के चार धाम )यह शहर पवित्र सप्तपुरी में से एक है और इसे भारत का सबसे पवित्र शहर माना जाता है। यहाँ द्वारकाधीश मंदिर स्थित है, जो राजा वज्र द्वारा बनवाया गया था। मंदिर का प्रवेश द्वार ‘स्वर्ग द्वार’ और निकास द्वार ‘मोक्ष द्वार’ कहलाता है। यहाँ हर दिन मंदिर के शीर्ष पर पाँच बार ध्वजा फहराई जाती है, जो श्रद्धालुओं के लिए अद्वितीय है।
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जगन्नाथ पुरी, ओडिशा
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जगन्नाथ पुरी, जो उड़ीसा के पुरी शहर में स्थित है, बंगाल की खाड़ी के तट पर बना एक प्राचीन तीर्थ स्थल है। (India’s 4 Dham) यहाँ भगवान जगन्नाथ, उनके भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा की पूजा की जाती है। यह मंदिर एक हजार वर्ष पुराना माना जाता है और राजा अनंतवर्मन चोडगंगा द्वारा इसका निर्माण करवाया गया था। यह पवित्र स्थल हिंदू पुराणों में नीलाचल, शंख क्षेत्र, नीलाद्रि और पुरुषोत्तम धाम जैसे विभिन्न नामों से भी प्रसिद्ध है।
रामेश्वरम, तमिलनाडु(भारत के चार धाम)
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तमिलनाडु में मन्नार की खाड़ी पर स्थित रामेश्वरम धाम, भगवान शिव को समर्पित है। यह वह स्थान है जहाँ रामायण के अनुसार भगवान राम ने रावण से युद्ध के लिए राम सेतु का निर्माण किया था। (भारत के चार धाम ) यहाँ रामनाथस्वामी मंदिर में भगवान शिव के एक ज्योतिर्लिंग की पूजा की जाती है, जो इसे एक पवित्र धाम बनाता है। रामेश्वरम की यात्रा के बिना बनारस की यात्रा भी अधूरी मानी जाती है।
निष्कर्ष
चार धाम यात्रा भारतीय संस्कृति और अध्यात्म का प्रतीक है। यह यात्रा न केवल आध्यात्मिक शांति देती है बल्कि भारतीय सभ्यता की गहरी झलक भी प्रस्तुत करती है। इन तीर्थ स्थलों की यात्रा करके श्रद्धालु अपनी आत्मा को शुद्ध करने का अनुभव करते हैं।