
पीएम मोदी का ‘योग आइडिया’ बना वैश्विक आंदोलन
जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2014 में संयुक्त राष्ट्र महासभा में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस का प्रस्ताव रखा (Yoga Day 2025) तो 193 देशों ने इस पर सहमति जताई। पहला अंतरराष्ट्रीय योग दिवस 21 जून 2015 को मनाया गया और तब से योग ने वैश्विक स्तर पर अपनी पहचान बनानी शुरू कर दी।
भारतीय योग शिक्षकों पर बरस रहे डॉलर
अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, जापान, अफ्रीका, हंगरी और स्पेन जैसे देशों में भारतीय योग शिक्षकों की भारी मांग है। हर साल सैकड़ों योग शिक्षक विदेश जाकर 2-2.5 लाख रुपये प्रति माह तक कमा रहे हैं।
गेल कर्मचारी सदानंद और आईएफवाईपी की भूमिका
उत्तर प्रदेश के औरैया जिले में गेल में कार्यरत सदानंद ने ‘इंटरनेशनल फाउंडेशन ऑफ योग प्रोफेशनल्स’ (आईएफवाईपी) की स्थापना की। (Yoga Day 2025) इस संगठन ने हजारों योग शिक्षकों को प्रशिक्षित कर उन्हें वैश्विक मंचों पर पहुंचाया।
2025 की थीम: हर घर योग, हर दिन योग
इस वर्ष की थीम ‘हर घर में योग, हर दिन योग’ यह संदेश देती है कि योग को केवल विशेष अवसरों या सार्वजनिक कार्यक्रमों तक सीमित नहीं रखना चाहिए, बल्कि इसे अपनी दैनिक जीवनशैली का हिस्सा बनाना चाहिए। इस थीम का मुख्य उद्देश्य यह है कि हर व्यक्ति अपने घर और दिनचर्या में योग को शामिल करे, ताकि इसका वास्तविक लाभ पूरे समाज तक पहुँच सके। जब तक योग हर घर और हर दिल में शामिल नहीं होगा, तब तक इसका सकारात्मक प्रभाव पूरी तरह से महसूस नहीं किया जा सकेगा।
चौथा बैच विदेश जाने को तैयार
आईएफवाईपी ने अब तक तीन बैच विदेश भेजे हैं और चौथा बैच तैयार है। पहले बैच में 150, दूसरे में 70 और तीसरे में करीब 80 शिक्षक विदेश जा चुके हैं। इस बार 50 से अधिक का चयन हुआ है।
कैसे शुरू हुआ अंतरराष्ट्रीय योग दिवस?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 27 सितंबर 2014 को संयुक्त राष्ट्र महासभा में (Yoga Day 2025) इस खास दिन की आधारशिला रखी थी। उन्होंने योग को भारत की अमूल्य सांस्कृतिक विरासत बताया और वैश्विक स्तर पर इसके प्रचार-प्रसार की अपील की। इसके बाद 11 दिसंबर 2014 को संयुक्त राष्ट्र ने 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस घोषित किया। पहली बार यह दिन 21 जून 2015 को पूरी दुनिया में मनाया गया।
स्वाति कुमारी का प्रेरक सफर
अटलांटा (अमेरिका) के लिए चयनित योग शिक्षिका स्वाति कुमारी ने योग को जीवनशैली के रूप में अपनाया। उन्होंने कहा कि योग ने उन्हें मानसिक और भावनात्मक स्थिरता दी। अब वे वैश्विक मंचों पर भारत की योग परंपरा का प्रतिनिधित्व करेंगी।
संघर्ष से सफलता तक की कहानी
सदानंद को अपनी मां की बीमारी से प्रेरणा मिली। 2003 में गठिया रोग से पीड़ित मां के इलाज के लिए उन्होंने योग की ओर रुख किया। कई वर्षों तक संघर्ष करने के बाद उन्होंने योग शिक्षकों को एकजुट किया और कार्यशालाएं शुरू कीं।
मोदी सरकार के सहयोग से मिली गति
वर्ष 2015 में मोदी सरकार द्वारा योग को वैश्विक पहचान दिलाने के प्रयासों के बाद आईएफवाईपी को गति मिली। (Yoga Day 2025) अक्टूबर 2016 में आयुष मंत्रालय के साथ बैठक के बाद संगठन का पंजीकरण हुआ। इसके बाद देश-विदेश में नेटवर्क का विस्तार हुआ। देश से जुड़े 38 हजार से अधिक योग शिक्षक आईएफवाईपी ने अब तक प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से 38 हजार से अधिक योग शिक्षकों को प्रशिक्षित किया है। इनमें से सैकड़ों को विदेश में योग सिखाने का मौका मिला है।
प्रति माह 2-2.5 लाख रुपये तक की कमाई
विदेश भेजे गए योग शिक्षक दो साल के कार्यकाल में 2 से 2.5 लाख रुपये प्रति माह कमा रहे हैं। कई शिक्षकों को कार्यकाल पूरा होने के बाद दोबारा मौका भी मिला है।
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देश से जुड़े 38 हजार से अधिक योग शिक्षक
आईएफवाईपी ने अब तक प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से 38 हजार से अधिक योग शिक्षकों को प्रशिक्षित किया है। इनमें से सैकड़ों को विदेश में योग सिखाने का मौका मिला है। प्रति माह 2-2.5 लाख रुपये तक की कमाई विदेश भेजे गए योग शिक्षक दो साल के कार्यकाल में 2 से 2.5 लाख रुपये प्रति माह कमा रहे हैं। कई शिक्षकों को कार्यकाल पूरा होने के बाद दोबारा मौका भी मिला है।