
शुभांशु शुक्ला 41 साल बाद अंतरिक्ष में दूसरे भारतीय
भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला अंतरिक्ष यात्रा के लिए तैयार हैं। (ShubhanshuShukla) वे एक्सियम-4 मिशन के तहत अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) जाएंगे। इससे पहले 1984 में राकेश शर्मा रूसी मिशन के जरिए अंतरिक्ष गए थे। तब शुभांशु का जन्म भी नहीं हुआ था।
मिशन में देरी मौसम और तकनीकी कारण
पहले इस मिशन को मई के अंत में लॉन्च किया जाना था, फिर नई तारीख 8 जून तय की गई, लेकिन खराब मौसम और अब तकनीकी कारणों से लॉन्च को टाल दिया गया है।

एक्सिओम-4 मिशन क्या है?
- एक्सिओम-4 एक वाणिज्यिक अंतरिक्ष मिशन है जिसे अमेरिकी (ShubhanshuShukla) कंपनी एक्सिओम स्पेस नासा और स्पेसएक्स के सहयोग से संचालित कर रही है।
- एक्सिओम स्पेस का यह चौथा मिशन है और पहली बार कोई भारतीय अंतरिक्ष यात्री इसमें भाग ले रहा है।
- भारत ने इस मिशन में एक सीट खरीदी है जिसकी लागत करीब 550 करोड़ रुपये है।
शुभांशु शुक्ला की भूमिका
- पायलट के तौर पर शुभांशु इस मिशन के लॉन्च, ऑर्बिट, डॉकिंग और वापसी की प्रक्रिया में अहम भूमिका निभाएंगे।
- वे मिशन के दौरान धरती पर मौजूद मिशन कंट्रोल टीम से संपर्क बनाए रखेंगे।
- उनका मिशन आईएसएस पर करीब 14 दिनों तक चलेगा।

अंतरिक्ष में किए जाएंगे प्रयोग
- इस मिशन में 60 वैज्ञानिक प्रयोग होंगे, जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं:
- अंतरिक्ष में बीज अंकुरण और पौधों की वृद्धि पर अध्ययन।
- इसमें भारतीय वैज्ञानिकों द्वारा सुझाए (ShubhanshuShukla) गए 7 प्रयोग शामिल हैं।
- इसके अलावा इसरो और नासा द्वारा संयुक्त रूप से 5 अन्य प्रयोग भी किए जाएंगे।
- यह पहली बार है कि भारत के वैज्ञानिक प्रयोग भी अंतरिक्ष से वापस आएंगे।
भारत के लिए यह मिशन क्यों महत्वपूर्ण है?
- गगनयान मिशन की तैयारी में यह एक बड़ा कदम है।
- गगनयान भारत का पहला स्वदेशी मानव मिशन है, जिसे 2027 तक लॉन्च किया जाना है।
- पल्लव बागला के अनुसार, यह मिशन भारत के मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम की नींव को मजबूत करेगा।
गगनयान से पहले पहला कदम
- पल्लव बागला ने एक्सियम-4 मिशन को “घुटने टेकने वाला चरण” बताया।
- उन्होंने कहा कि जिस तरह एक बच्चा पहले घुटनों के बल रेंगता है, उसी तरह यह गगनयान से पहले भारत का पहला कदम है।

शिक्षा और प्रेरणा
- शुभांशु शुक्ला अपने मिशन के दौरान आउटरीच गतिविधियों में भी शामिल होंगे।
- वे अंतरिक्ष से अपने पुराने स्कूल (लखनऊ) के छात्रों से बात करेंगे।
- वैज्ञानिकों और स्टार्टअप्स के साथ बातचीत करेंगे और एक वीआईपी (ShubhanshuShukla) से भी बातचीत करेंगे, जिसका नाम अभी तक सामने नहीं आया है।
राकेश शर्मा से तुलना
- 1984 में राकेश शर्मा ने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से बात की थी। जब उनसे पूछा गया कि “भारत ऊपर से कैसा दिखता है?”, तो उन्होंने जवाब दिया – “सारे जहाँ से अच्छा।”
- अब 41 साल बाद भारत का एक और बेटा अंतरिक्ष में जा रहा है, लेकिन इस बार व्यावसायिक भागीदारी और विज्ञान आधारित प्रयोगों के साथ।
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भविष्य की दिशा तय करने वाला मिशन
एक्सियम-4 मिशन भारत की अंतरिक्ष यात्रा में मील का पत्थर है। यह न केवल गगनयान मिशन की नींव को मजबूत करता है, बल्कि भारतीय अंतरिक्ष वैज्ञानिकों को अंतरराष्ट्रीय अनुभव भी देता है। आने वाले वर्षों में जब भारत का अपना अंतरिक्ष स्टेशन और चंद्रमा मिशन हकीकत बन जाएगा, तो ये छोटे-छोटे कदम उस सफलता की ओर बढ़ते नजर आएंगे।