
चार धाम यात्रा शुरू हो गई है, जिसमें केदारनाथ तीसरा धाम है। 2 मई 2025, शुक्रवार को सुबह 7 बजे वैदिक मंत्रोच्चार (Kedarnath Dham) के साथ बाबा केदारनाथ के कपाट खोल दिए गए हैं। अब श्रद्धालु अगले छह महीने तक बाबा के दर्शन कर सकेंगे। इससे पहले गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के कपाट 30 अप्रैल को खोले गए थे, जबकि बद्रीनाथ धाम के कपाट 4 मई को खोले जाएंगे।
उत्तराखंड: देवभूमि की महिमा
उत्तराखंड को देवभूमि इसलिए कहा जाता है क्योंकि यहां 33 करोड़ देवी-देवता निवास करते हैं। केदारनाथ धाम सिर्फ धार्मिक स्थल नहीं बल्कि आध्यात्मिक ऊर्जा का केंद्र है। कहा जाता है कि यहां के कण-कण में भगवान शिव का वास है। हर साल लाखों श्रद्धालु यहां बाबा के दर्शन के लिए पहुंचते हैं।

केदारनाथ न जा पाएं तो क्या करें?
अगर किसी कारणवश आप इस पवित्र यात्रा पर नहीं जा पाएं तो निराश न हों। (Kedarnath Dham) आप घर पर रहकर भी भगवान शिव का आशीर्वाद पा सकते हैं। इसके लिए कुछ खास नियमों का पालन करें ।
घर में शिवलिंग स्थापना की विधि
- घर में एक ही शिवलिंग होना चाहिए। अगर पहले से कोई शिवलिंग मौजूद है तो उसकी ही पूजा करें।
- अगर नया शिवलिंग स्थापित करना है तो उसका आकार अंगूठे से बड़ा नहीं होना चाहिए।
- शिवलिंग को उचित दिशा में स्थापित करें (पूर्व या उत्तर दिशा उपयुक्त मानी जाती है)।
- रोजाना तांबे या पीतल के बर्तन से जल चढ़ाएं।
- पूजा में पवित्रता, नियम और आस्था का विशेष ध्यान रखें।

केदारेश्वर मंदिर तीन भागों में विभाजित है
इस मंदिर को तीन मुख्य भागों में विभाजित किया जा सकता है:
- गर्भगृह,
- मध्य भाग,
- सभा मंडप।
गर्भगृह में स्वयंभू ज्योतिर्लिंग स्थापित है। इसके सामने भगवान गणेश और मां पार्वती का श्री यंत्र स्थापित है। (Kedarnath Dham) ध्यान से देखने पर ज्योतिर्लिंग पर प्राकृतिक रूप से उभरा हुआ यज्ञोपवीत (जनेऊ) देखा जा सकता है, जबकि इसके पिछले हिस्से में प्राकृतिक स्फटिक की माला भी साफ देखी जा सकती है। यहां हजारों सालों से एक दिव्य दीपक लगातार जल रहा है। खास बात यह है कि छह महीने तक मंदिर बंद रहने पर भी यह दीपक अपने आप जलता रहता है ।

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केदारनाथ मंदिर का इतिहास
भगवान विष्णु के अवतार नर और नारायण ऋषियों ने केदार पर्वत की गोद में कठोर तपस्या की थी। उनकी कठोर तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव प्रकट हुए और उन्हें दर्शन दिए। तब नर और नारायण ने भगवान शिव से प्रार्थना की कि वे ज्योतिर्लिंग के रूप में हमेशा के लिए इसी स्थान पर विराजमान रहें। भक्तों की भावना को स्वीकार करते हुए भगवान शिव ने उन्हें यह वरदान दिया और केदारनाथ में ज्योतिर्लिंग के रूप में स्थायी रूप से स्थापित हो गए।
भक्ति से आध्यात्मिक अनुभव प्राप्त करें
यदि आप केदारनाथ नहीं जा पा रहे हैं, तो भी आप घर बैठे बाबा केदारनाथ का ध्यान कर सकते हैं, मंत्र जाप कर सकते हैं (Kedarnath Dham) और कथा सुन सकते हैं। यह भी किसी आध्यात्मिक यात्रा से कम नहीं है। ईश्वर को पाने के लिए व्यक्ति को बाहर नहीं बल्कि अपने अंदर देखना चाहिए, क्योंकि ईश्वर कण-कण में विद्यमान हैं।