Covid-19 : कोरोना के निंबस और स्ट्राटस वैरिएंट्स पर मचा हड़कंप

दो नए नाम, लेकिन क्या ये नए वैरिएंट हैं?

हाल ही में कोरोना के दो वैरिएंट- निंबस और स्ट्रेटस को लेकर चर्चाएं तेज हो गई हैं। कई रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है (Covid-19) कि ये वैरिएंट ओमीक्रॉन के पिछले वैरिएंट से ढाई गुना ज़्यादा संक्रामक हो सकते हैं। इससे यह आशंका बढ़ गई है कि कहीं ये कोरोना की नई लहर की शुरुआत तो नहीं है?

संक्रमण में उतार-चढ़ाव, लेकिन घट रहे मामले

भारत समेत कई देशों में मई से कोरोना संक्रमण में बढ़ोतरी देखी गई। खास तौर पर हांगकांग और सिंगापुर से शुरू हुई यह लहर भारत में भी तेजी से फैली।

  • तीन हफ्तों में एक्टिव केस बढ़कर 7400 से ज्यादा हो गए थे।
  • 19 जून को यह संख्या घटकर 5976 रह गई।
  • पिछले कुछ दिनों से संक्रमण में गिरावट देखी जा रही है।

निम्बस और स्ट्रेटस: आखिर ये क्या हैं?

स्वास्थ्य विशेषज्ञों और रिपोर्ट के अनुसार, निम्बस और स्ट्रेटस नए (Covid-19) वैरिएंट नहीं हैं, बल्कि पहले से ज्ञात वैरिएंट के उपनाम हैं।

  • NB.1.8.1 को निम्बस कहा जा रहा है।
  • XFG को स्ट्रेटस नाम दिया गया है।

WHO (विश्व स्वास्थ्य संगठन) ने इन दोनों को “मॉनिटरिंग के तहत वैरिएंट” की सूची में डाल दिया है। इसका मतलब है कि बढ़ते मामलों को देखते हुए इन पर सावधानीपूर्वक निगरानी रखी जानी चाहिए।

NB.1.8.1 (निम्बस) और XFG (स्ट्रेटस) के बीच अंतर

NB.1.8.1 (निम्बस):
  • यह ओमिक्रॉन का एक उप-संस्करण है।
  • इसे अधिक संक्रामक लेकिन कम गंभीर माना जाता है।
  • इससे स्वास्थ्य प्रणाली पर अतिरिक्त दबाव पड़ने की (Covid-19) संभावना कम है।
XFG (स्ट्रेटस):
  • इसका सबसे पहले कनाडा में पता चला था।
  • मई के अंत तक यूरोप में 25% मामले सामने आए थे।
  • यह भारत में भी फैल चुका है, लेकिन अब इसमें कमी आ रही है।

विशेषज्ञों की क्या राय है?

गांधीनगर स्थित भारतीय जन स्वास्थ्य संस्थान के संक्रामक रोग विशेषज्ञ डॉ. अनीश सिन्हा के अनुसार –

“भारत जैसे विशाल जनसंख्या वाले देश में संक्रमण में उतार-चढ़ाव हो सकता है। लेकिन मामले जितनी तेजी से बढ़ते हैं,(Covid-19) उतनी ही तेजी से घटते भी हैं।” स्वास्थ्य विशेषज्ञ अभी भी कोविड संबंधी उचित व्यवहार जैसे मास्क पहनना, हाथ साफ रखना और भीड़भाड़ से बचना जरूरी मानते हैं।

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घबराएँ नहीं, सावधान रहें

हालाँकि निम्बस और स्ट्रेटस नाम के वेरिएंट चर्चा में हैं, लेकिन ये नए वेरिएंट नहीं हैं। फिर भी, इनकी उच्च संक्रामकता दर के कारण सतर्क रहना ज़रूरी है। सार्वजनिक स्वास्थ्य उपाय और जागरूकता संक्रमण की गति को नियंत्रित कर सकते हैं।

सावधानी ही सुरक्षा है।

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