Axiom-4 Mission : ISS पहुंचे शुभांशु, भारत को क्या मिलेगा लाभ?

भारत के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला को 25 जून 2025 को एक्सिओम-4 मिशन के तहत अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) भेजा गया। (Axiom-4 Mission) वे 41 साल बाद अंतरिक्ष में जाने वाले पहले भारतीय बन गए हैं। आइए इस मिशन में उनकी भूमिका, प्रयोग और भारत के लिए लाभ को विस्तार से समझते हैं।

शुभांशु शुक्ला की भूमिका क्या है?

ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला इस मिशन में पायलट की भूमिका निभा रहे हैं।

  • अंतरिक्ष में ड्रैगन कैप्सूल को नेविगेट करने, इसे आईएसएस पर सुरक्षित रूप से डॉक करने और किसी भी आपात स्थिति में इसे नियंत्रित करने के लिए वे जिम्मेदार हैं।
  • वे मिशन में दूसरे नंबर के कमांडर हैं – मुख्य कमांडर पैगी व्हिटसन के बाद सबसे महत्वपूर्ण भूमिका।
  • वे 14 दिनों तक अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन में रहेंगे।

शुभांशु अपने साथ क्या ले गए ?

  • भारतीय भोजन – जैसे हलवा, चावल और अन्य व्यंजन।
  • फसलों और सूक्ष्मजीवों के बीज और नमूने।
  • सॉफ्ट टॉय ‘जॉय’ – जिसे शून्य गुरुत्वाकर्षण की पुष्टि (Axiom-4 Mission) करने के लिए भेजा गया था।

कौन से वैज्ञानिक कर रहे हैं प्रयोग?

  1. सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण में फसल बीज परीक्षण

अंतरिक्ष में छह फसलों के बीजों को उगाकर उनके विकास पर अध्ययन।

  1. सूक्ष्म शैवाल पर प्रयोग

खाद्य, ईंधन और ऑक्सीजन के विकल्प के रूप में सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण में इनका परीक्षण किया जा रहा है।

  1. टार्डिग्रेड्स पर परीक्षण

यह देखा जा रहा है कि कौन से सूक्ष्म जीव अंतरिक्ष की कठोर परिस्थितियों में जीवित रह सकते हैं।

  1. मांसपेशियों के शोष पर अध्ययन

यह देखा जाएगा कि शून्य गुरुत्वाकर्षण में मांसपेशियां कैसे कमजोर होती हैं (Axiom-4 Mission) और पूरक आहार का क्या प्रभाव होता है।

  1. आंखों पर प्रभाव

अंतरिक्ष में आंखों की पुतलियों की हरकतों पर शोध।

  1. फसलों की पोषण गुणवत्ता

पृथ्वी और अंतरिक्ष में उगाई जाने वाली फसलों के पोषण मूल्य की तुलना।

  1. साइनोबैक्टीरिया के उपयोग

यूरिया और नाइट्रेट से भोजन और ऑक्सीजन बनाने की संभावनाओं का पता लगाया जा रहा है।

भारतीय भोजन का परीक्षण

  • इसरो और डीआरडीओ ने कई वर्षों के शोध के बाद अंतरिक्ष में उपयोग के लिए उपयुक्त (Axiom-4 Mission) भारतीय भोजन तैयार किया।
  • शुरुआत में मसालेदार भोजन के कारण अनुमति नहीं दी गई, लेकिन बाद में इसे प्रयोग के तौर पर भेजा गया।
  • अगर यह सफल रहा तो भारतीय भोजन को गगनयान मिशन (2027) में नियमित रूप से शामिल किया जा सकता है।

छात्रों से संवाद

  • शुभांशु भारतीय छात्रों से वीडियो संवाद करेंगे।
  • वे आईएसएस पर जीवन और विज्ञान से जुड़े अनुभव साझा करेंगे, जिससे छात्रों और युवा वैज्ञानिकों की अंतरिक्ष विज्ञान के प्रति रुचि बढ़ेगी।

भारत को इससे क्या लाभ होगा?

  • गगनयान मिशन से खाद्यान्न, जीवन रक्षक प्रणाली और अंतरिक्ष व्यवहार के बारे में वास्तविक समय का डेटा प्राप्त होगा।
  • अंतरिक्ष में खेती, जैविक अनुसंधान और मानव शरीर पर पड़ने वाले प्रभावों की समझ में सुधार होगा।
  • भविष्य के दीर्घकालिक अंतरिक्ष मिशनों के लिए भारत की तैयारी मजबूत होगी।

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ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला का एक्सिओम-4 मिशन न केवल वैज्ञानिक दृष्टिकोण से बल्कि भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम की रणनीतिक तैयारियों के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण है। यह मिशन भारत के अंतरिक्ष इतिहास में एक और मील का पत्थर साबित हो सकता है।

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