
फ्लाइट AI171 का क्या हुआ?
Air India Crash : गुरूवार दोपहर अहमदाबाद से लंदन गैटविक जा रही एयर इंडिया की फ्लाइट AI171 उड़ान भरने के 30 सेकंड के भीतर ही दुर्घटनाग्रस्त हो गई। (Air India Crash) यह दुर्घटना सरदार वल्लभभाई पटेल अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे से मात्र 1.5 किलोमीटर की दूरी पर हुई। बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर विमान में सवार सभी 241 यात्रियों की मौत हो गई, और जमीन पर भी कई लोगों की जान चली गई।
दुनिया में ड्रीमलाइनर की पहली जानलेवा दुर्घटना
2011 में 787-8 ड्रीमलाइनर के वाणिज्यिक सेवा में आने के बाद यह पहली बार था जब यह इतनी भयावह दुर्घटना का शिकार हुआ। विशेषज्ञों के अनुसार, उड़ान भरने के ठीक बाद का समय किसी भी उड़ान के लिए सबसे जोखिम भरा समय होता है।

अनुभवी पायलट, फिर भी दुर्घटना
विमान को कैप्टन सुमित सबरवाल और सह-पायलट क्लाइव कुंदर उड़ा रहे थे। दोनों पायलटों को मिलाकर 9,000 घंटे से अधिक उड़ान का अनुभव था। अकेले सबरवाल के पास 22 साल से अधिक का अनुभव था।
‘मेडे कॉल’ और फिर सन्नाटा
विमान ने दोपहर 1:39 बजे उड़ान भरी और उसके तुरंत बाद कॉकपिट से ‘मेडे कॉल’ यानी आपातकालीन संदेश दिया गया। इसके बाद विमान से कोई संपर्क नहीं हो पाया।
विमान ने ऊंचाई क्यों नहीं हासिल की?
विमान के आखिरी ट्रैकिंग डेटा से पता चलता है कि यह केवल 625 फीट (190 मीटर) की ऊंचाई तक ही पहुंच सका था। फिर यह धीरे-धीरे नीचे गिरने लगा। एकमात्र जीवित बचे यात्री ने बताया कि टेक-ऑफ के समय विमान में जोरदार धमाका हुआ था।

क्या दोनों इंजन एक साथ फेल हुए?
कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि यह दुर्लभ डबल इंजन फेलियर हो सकता है। (Air India Crash) इससे पहले 2009 में ‘मिरेकल ऑन द हडसन’ के दौरान भी ऐसी घटना हुई थी। हालांकि, उस समय पायलट को पर्याप्त ऊंचाई और समय मिला था, जो इस दुर्घटना में नहीं था। दूसरी संभावना यह है कि ईंधन में समस्या या पाइपलाइन में रुकावट के कारण इंजन बंद हो गए होंगे। हालांकि, डबल इंजन फेलियर के अभी तक कोई ठोस सबूत नहीं मिले हैं।
क्या पक्षियों का टकराना दुर्घटना का कारण बना?
अहमदाबाद एयरपोर्ट पर पक्षियों की संख्या काफी अधिक है। पिछले पांच सालों में यहां पक्षियों के टकराने की 462 घटनाएं दर्ज की गई हैं। कई पायलटों और विशेषज्ञों ने इस संभावना से भी इनकार नहीं किया है। हालांकि, पक्षियों के टकराने से होने वाले इतने बड़े हादसे तभी होते हैं, जब दोनों इंजन एक साथ प्रभावित होते हैं।

फ्लैप में खराबी- मानवीय भूल की संभावना?
टेक-ऑफ के दौरान फ्लैप को एक खास स्थिति में रखना जरूरी होता है, ताकि विमान को कम गति पर भी लिफ्ट मिल सके। (Air India Crash) कुछ विशेषज्ञों ने संदेह जताया है कि शायद फ्लैप सही तरीके से सेट नहीं किए गए थे। लेकिन इस पर भी सवाल हैं, क्योंकि बोइंग 787 में टेक-ऑफ कॉन्फिगरेशन वार्निंग सिस्टम है, जो ऐसी गलती की चेतावनी देता है। फिर भी अगर फ्लैप खुले नहीं थे, तो यह गंभीर मानवीय भूल की ओर इशारा करता है। अब भारत के साथ-साथ अमेरिका और ब्रिटेन के विशेषज्ञ भी जांच में शामिल होंगे। ब्लैक बॉक्स और मलबे की जांच करके ही तय हो पाएगा कि 30 सेकंड में विमान असल में कैसे क्रैश हुआ।
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फिलहाल यह स्पष्ट नहीं है कि इस भीषण दुर्घटना का कारण क्या था – इंजन फेल होना, पक्षी का टकराना, फ्लैप्स में खराबी या कोई और तकनीकी या मानवीय भूल। जांच रिपोर्ट आने के बाद ही सच्चाई सामने आएगी। लेकिन एक बात तो तय है कि यह विमानन इतिहास की सबसे चौंकाने वाली दुर्घटनाओं में से एक बन गई है।