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विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवसःलोगों की जान ले रही हैं ये मानसिक बीमारियां

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न्यूज़ जंगल डेस्क,कानपुर : हर साल 10 अक्टूबर के दिन दुनियाभर में मानसिक स्वास्थ्य दिवस मनाया जाता है, ताकि लोगों में मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों के बारे में जागरूकता पैदा की जा सके। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक, विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस मानसिक स्वास्थ्य के लिए काम कर सभी लोगों को अपने काम के बारे में बात करने का अवसर देता है और साथ ही बताते हैं कि मानसिक स्वास्थ्य सेवा को दुनिया भर के लोगों के लिए एक वास्तविक बीमारी बनाने के लिए और क्या किया जा सकता है।

इसमें कोई शक़ नहीं कि पिछले कुछ सालों में मानसिक स्वास्थ्य के प्रति लोगों में जागरूकता बढ़ी है। लेकिन इसके बावजूद आज भी ऐसे लोगों की संख्या ज़्यादा है, जो इसके बारे में बात करने में झिझक महसूस करते हैं। क्या आप जानते हैं कि मानसिक बीमारी की वजह से हर 40 सेकेंड में एक इंसान की जान चली जाती है। यह चौंकाने वाला आंकड़ा बताता है कि मानसिक विकारों के बारे में बात करना कितना ज़रूरी है और आप इससे कैसे इसका सामना कर सकते हैं। आज हम बात करेंगे 5 मानसिक बीमारियों के बारे में जिससे लाखों लोग जूझ रहे हैं।

मेजर डिप्रेसिव डिसऑर्डर (तनाव):आम भाषा में कहें तो इसका मतलब डिप्रेशन यानी तनाव हुआ। यह दिमाग़ से जुड़ी एक बेहद गंभीर बीमारी है। इस बीमारी में आप कैसा महसूस करते हैं, क्या सोचते हैं और कैसे पेश आते हैं, इन सभी पर नकारात्मक प्रभाव डालती है। इस बीमारी में एक इंसान महीनों, यहां तक ​​कि सालों तक उदास महसूस कर सकता है।डिप्रेशन होने पर एक व्यक्ति को कभी जिस काम में काफी मज़ा आता है, उसमें वो रुचि खो देता है, भूख नहीं लगती, नींद नहीं आती या ग़लत समय पर सोते हैं, ऊर्जा की कमी हो जाती है, हर वक्त थकान महसूस करते हैं, अपने आप को बेकार महसूस करना शुरू कर देते हैं, एकाग्रता में मुश्किल का अनुभव होता है और निर्णय लेने में काफी मुश्किल आती है।

ऐसे में रोगी के परिवार के लोग या फिर दोस्त उसके अलाज में एक बड़ी भूमिका निभाते हैं। वो न सिर्फ ये पहचानने में मदद कर सकते हैं कि उनके परिवार का कोई सदस्य या दोस्त तनाव में है बल्कि समय पर इसका इलाज शुरू करवा सकते हैं। साथ ही वे उस व्यक्ति को प्रेरित कर उसे अवसाद से बाहर आने में भी मदद कर सकते हैं।

Obsessive Compulsive Disorder: Obsessive compulsive disorder यानि OCD, चिंता से जुड़ा एक डिसऑर्डर है, जिसमें जुनूनी विचार और चीज़ों को एक निश्चित तरीके से देखने की मजबूरी महसूस करने जैसे लक्षम शामिल हैं। जो लोग OCD के शिकार होते हैं वह हर चीज़ को अलग तरह से देखते हैं। उन्हें ऐसे विचार आते हैं, जो बेकाबू होते हैं और कुछ चीज़ें करने के लिए बेताब हो जाते हैं। जैसे कई बार या लगातार हाथ धोना, अपने शरीर को चेक करते रहना, रोज़ाना एक तरह का रूटीन फोलो करने जैसे कुछ चीज़ें OCD के लक्षण हैं।

सिज़ोफ्रेनिया:सिज़ोफ्रेनिया भी एक गंभीर मानसिक बीमारी है। इस दौरान एक व्यक्ति वास्तविकता को समझ नहीं पाता। वे भ्रम और अव्यवस्थित सोच का अनुभव करते हैं। सिज़ोफ्रेनिया आम नहीं है, लेकिन इसके लक्षण काफी गंभीर होते हैं। इसे युवा अवस्था में किशोरों में सिज़ोफ्रेनिया के लक्षणों को पहचानना मुश्किल हो सकता है क्योंकि दोस्तों और परिवार से दूरी, प्रेरणा की कमी और नींद की समस्या जैसे लक्षण किशोर अवस्था के आम हैं। ऐसे में खुद की मदद, मनोवैज्ञानिक से सलाह और दवा की मदद से सिज़ोफ्रेनिया के लक्षणों को कम करने में मदद मिल सकती है।

बायपोलर डिसऑर्डर:बायपोलर डिसऑर्डर एक प्रकार की मानसिक बीमारी है, जिसमें अचानक मूड में बदलता है। बायपोलर डिसऑर्डर से पीड़ित व्यक्ति कई तरह की भावनाओं से गुज़रता है, कभी अत्यधिक उत्तेजना, गहरी उदासी, आत्मघाती विचार, ऊर्जा की कमी जैसे अनुभव होते हैं। अगर आप अत्यधिक तनाव, शारीरिक बीमारी, दर्दनाक अनुभव से गुज़र रहे हैं तो, ये बायपोलर डिसऑर्डर के विकास को बढ़ावा दे सकते हैं।

 लगातार अवसादग्रस्त रहना:इस बीमारी को डिस्थीमिया भी कहा जाता है। इस अवस्था में एक इंसान लगातार अवसाद में रहता है। उसे लगातार उदासी, उत्पादकता में कमी, कम ऊर्जा, निराशा, भूख में बदलाव, कम आत्मविश्वास और खराब आत्मसम्मान की भावना महसूस होती है। दर्दनाक जीवन की घटनाएं, निरंतर चिंता, बायपोलर डिसऑर्डर और यहां तक ​​कि मस्तिष्क में एक प्रकार का रासायनिक असंतुलन लगातार हो रही इस अवसादग्रस्तता विकार का एक प्रमुख कारण हो सकता है।

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