न्यूज जगंल डेस्क: कानपुर यूपी में जैसे-जैसे ठंड बढ़ रही है, उतनी ही तेजी से पॉल्यूशन का ग्राफ भी चढ़ने लगा है। सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (CPCB) की रिपोर्ट के मुताबिक, गाजियाबाद, आगरा, मेरठ का एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) बेहद खराब (सांस लेने संबंधी बीमारियां) कैटेगरी में है। इन शहरों में हवा सांस लेने लायक भी नहीं है। वहीं, कानपुर, लखनऊ, मुरादाबाद, प्रयागराज और बागपत में भी AQI चिंताजनक स्थिति में पहुंच गया है।



प्रमुख शहरों की हवा भी जहरीली
देश में पॉल्यूशन के मामले में कानपुर और लखनऊ टॉप-5 शहरों में रहते हैं। शुक्रवार को जारी CPCB की रिपोर्ट में भी दोनों शहरों के साथ ही प्रयागराज, मुरादाबाद, बागपत और फिरोजाबाद में पॉल्यूशन का स्तर 200 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर को पार कर गया। गोरखपुर और वाराणसी की हवा मॉडरेट (अस्थमा और लंग्स रोगियों के लिए नुकसानदायक) दर्ज की गई।
नहीं शुरू हुए इंतजाम
ठंड के साथ ही पॉल्यूशन बढ़ना शुरू हो गया है, लेकिन इंतजाम अब भी धरे के धरे ही हैं। बीते साल CPCB ने 5-5 करोड़ रुपए एंटी पॉल्यूशन मशीनों को खरीदने के लिए दिए थे। लेकिन इन मशीनरी ने अभी तक पॉल्यूशन कंट्रोल करने के लिए काम शुरू नहीं किया है। वहीं, शहरों में डस्ट पॉल्यूशन भी तेजी से बढ़ा है।
सर्दियों में क्यों बढ़ता है पॉल्यूशन
यूपी पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड रीजनल ऑफिसर अनिल कुमार माथुर ने बताया कि तापमान में गिरावट के साथ ही हवा भी ठंडी होकर वायुमंडल के सबसे निचले स्तर में ही रह जाती है। इस हवा में मौजूद सस्पेंड पार्टिकुलेट मैटर (पीएम-2.5 और 10), डस्ट पार्टिकल और जहरीली गैसें भी वायुमंडल के ऊपरी हिस्से में नहीं जा पाती है। इस कारण से ही कोहरा और पॉल्यूशन बढ़ता है।
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बढ़ती जा रही है धुंध
पर्यावरणविद डॉ. एसके त्रिपाठी ने बताया कि टेंप्रेचर जैसे-जैसे गिर रहा है वैसे ही नमी बढ़ रही है। इस कारण से ईंधन से निकलने वाली कार्बन मोनो ऑक्साइड व सल्फर डाई ऑक्साइड गैसें वायुमंडल के निचले स्तर पर ठहर जा रही हैं। इससे पॉल्यूशन तो बढ़ ही रहा है, धुंध भी बढ़ रही है।
पॉल्यूशन से होने वाली आम बीमारियां
- सांस लेने में तकलीफ
- आंख और नाक में जलन होना
- बालों का झड़ना
- चक्कर आना, सिरदर्द और घबराहट
- त्वचा पर दाने और खुजली
- लंग्स, हार्ट और नर्वस सिस्टम पर भी बुरा प्रभाव
ये हैं एयर क्वालिटी के मानक
- 0-50 के बीच अच्छी हवा
- 51-100 के बीच संतोषजनक हवा
- 101-200 के बीच मॉडरेट (अस्थमा रोगियों के लिए नुकसानदायक)
- 201-300 के बीच पुअर (सांस लेने में तकलीफ)
- 301-400 के बीच वैरी पुअर (सांस लेने संबंधी बीमारियां)
- 401-500 के बीच खतरनाक (स्वास्थ्य लोगों पर बुरा प्रभाव)