न्यूज जगंल डेस्क: कानपुर प्रदेश में अब फिर से लोग स्टाम्प वेंडर से कैश देकर स्टाम्प खरीद सकेंगे। सरकार ने मैनुअल स्टाम्प बिक्री पर रोक लगाकर सिर्फ ई-स्टाम्प बिक्री को लागू किया था। इससे 10, 20, 50 और 100 रुपए के स्टाम्प लोगों को खरीदने में बेहद मुश्किल हो रही थी। वहीं, कमीशन कम होने की वजह से लोगों को 10 रुपए के स्टाम्प पर 30 रुपए तक देने पड़ रहे थे।



कानपुर से पूरे प्रदेश में होती है सप्लाई
चीफ ट्रेजरी ऑफिसर और स्टाम्प डिपो के नोडल अधिकारी यशवंत सिंह ने बताया कि 50 और 100 रुपए के 30-30 लाख स्टाम्प पेपर का ऑर्डर हैदराबाद भेजा गया है। प्रिंट होकर आने के बाद यूपी के सभी जिलों को 30-30 हजार स्टाम्प भेजे जाएंगे। 10 और 20 रुपए के स्टाम्प भी जल्द ही आ जाएंगे। इससे लोगों को आसानी से स्टाम्प मिल सकेंगे। फिलहाल, ई-स्टाम्प व्यवस्था भी लागू रहेगी।
ई-स्टाम्प से हो रहा था नुकसान
यूपी सरकार ने ई-स्टाम्प को इसलिए लागू किया था कि छपाई पर आने वाला खर्च काफी ज्यादा था। इसमें करीब 100 करोड़ रुपए खर्च हो रहे थे। कोषागार से स्टाम्प बेचने पर कोई कमीशन सरकार को नहीं देना पड़ता था। अब सरकार को छपाई के खर्च से ज्यादा कमीशन देकर नुकसान उठाना पड़ रहा था।
70-30 के रेशियो में बिक रहा था
फाइनेंशियल ईयर 2020-21 में 70 परसेंट मैनुअल और 30 परसेंट ई-स्टाम्प बेचने की व्यवस्था थी। उस दौरान भी सरकार को ई-स्टाम्प में कमीशन ज्यादा देना पड़ा था। बावजूद इसके ई-स्टाम्प व्यवस्था को पूरी तरह से लागू कर दिया गया और सरकार को काफी नुकसान उठाना पड़ा।
ये भी देखे: 14 नवंबर को प्रियंका गाँधी बुलंदशहर में ‘कांग्रेस प्रतिज्ञा सम्मेलन- लक्ष्य 2022’ को करेंगी संबोधित
3 से 4 दिन बाद मिल रहे स्टांप
कोषागार से पहले रोजाना 70 लाख रुपए तक के स्टाम्प बिकते थे। लेकिन, नई व्यवस्था के बाद अब करीब 10 लाख रुपए के स्टाम्प भी बमुश्किल बिक पाते हैं। वहीं, नई व्यवस्था के बाद कोषागार से बड़े अमाउंट के स्टाम्प लेने के लिए लंबी कवायद करनी पड़ती है। अप्लाई करने के बाद खरीदार के बैंक से स्क्रॉल आता है, फिर स्टाम्प दिया जाता है। इसमें 3 से 4 दिन तक लग जाते हैं।
ई-स्टाम्प खरीदने में मुश्किलें आ रहीं
स्टाम्प वेंडर विदेश कटियार ने बताया कि कानपुर में करीब 250 स्टाम्प वेंडर हैं। ई-स्टाम्प बेचने की जिम्मेदारी स्टॉक होर्डिंग कंपनी को दी गई है। अभी तक 90 वेंडर ही स्टाम्प कंपनी ने नियुक्त कर पाई है। ई-स्टाम्प व्यवस्था पूरी तरह से बेकार है। इसमें पब्लिक और वेंडर दोनों का नुकसान है। वेंडर्स कम होने से लोगों को ई-स्टाम्प खरीदने में काफी मुश्किल हो रही थी। स्टाम्प से दोगुना शुल्क लोगों को देना पड़ रहा था।