न्यूज जंगल डेस्क,कानपुरःकांग्रेस की राजनीतिक चुनौतियों और संगठनात्मक कमजोरियों को लेकर पार्टी के अंदर से उठाए जा रहे सवालों के बीच पार्टी कार्यसमिति की शनिवार को हो रही महत्वपूर्ण बैठक में संगठन चुनाव कराने की प्रक्रिया शुरू करने का फैसला किए जाने की पूरी संभावना है। इस क्रम में सबसे पहले पार्टी का सदस्यता अभियान शुरू करने का फैसला लिए जाने के संकेत हैं। बैठक में राजनीतिक और कृषि समेत तीन प्रस्ताव भी पारित किए जाएंगे। यह बैठक पार्टी के असंतुष्ट खेमे की मांग पर बुलाई गई है, मगर जी-23 खेमा कार्यसमिति के केवल मुख्य सदस्यों के बजाय आमंत्रित सदस्यों और राज्यों के प्रभारियों को भी इसमें बुलाए



सूत्रों के अनुसार, कार्यसमिति की बैठक में 56 सदस्यों को न्योता दिया गया है जिसमें राज्यों के प्रभारी और विशेष आमंत्रित सदस्य भी शामिल हैं। जबकि जी-23 की अगुआई कर रहे गुलाम नबी आजाद ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को जो पत्र लिखा था उसमें कार्यसमिति के केवल मुख्य सदस्यों की ही बैठक में बुलाने की मांग रखी थी। अहमद पटेल और मोतीलाल वोरा के निधन के बाद कार्यसमिति में अभी 20 सदस्य हैं। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह इस समय अस्वस्थ हैं और उनके बैठक में शामिल होने की संभावना नहीं है।
इस लिहाज से कार्यसमिति के 19 मुख्य सदस्य ही बैठक में रहेंगे जिनमें असंतुष्ट खेमे के केवल दो ही सदस्य हैं- गुलाम नबी आजाद और आनंद शर्मा। एक समय असंतुष्ट खेमे में रहे मुकुल वासनिक नेतृत्व को बहुत असहज करेंगे, इसकी गुंजाइश नहीं दिखती। वहीं, पी. चिदंबरम तटस्थ रहते हुए भी नेतृत्व की सियासी लाइन-लेंथ से बहुत अलग नहीं रहे हैं। इनके अलावा बैठक में बुलाए गए अधिकांश सदस्य कांग्रेस नेतृत्व के राजनीतिक दृष्टिकोण और फैसले के साथ रहेंगे।
कार्यसमिति के राजनीतिक प्रस्ताव में देश के मौजूदा वातावरण जिसमें संघीय ढांचे पर केंद्र के प्रहार के अलावा असम-मिजोरम बार्डर, नगालैंड में हुए संघर्षपूर्ण विवाद का जिक्र कर चिंता जताई जाएगी। वहीं, चीन के पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर अतिक्रमण के 18 महीने बाद भी स्थिति चिंताजनक और गंभीर बने होने को लेकर सरकार पर प्रहार किया जाएगा। कृषि संकट को लेकर अलग प्रस्ताव होगा जिसमें कृषि सुधार कानूनों के खिलाफ 11 महीनों से चल रहे आंदोलन पर केंद्र की बेरुखी को लेकर हमला बोला जाएगा। आर्थिक स्थिति और महंगाई पर तीसरे प्रस्ताव में पेट्रोल-डीजल की कीमतों में लगातार बढ़ोतरी के अलावा आम जरूरत की वस्तुओं की बेतहाशा महंगाई रोकने में सरकार की विफलता को लेकर सवाल उठाए जाएंगे।
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