सामान्य से 20% कम बारिश होने की आशंका, किसानों को हो सकती है परेशानी

Monsoon in India: उत्तर भारत के कृषि प्रधान क्षेत्र पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में सीजन के दूसरे भाग के दौरान सामान्य से कम बारिश होने की संभावना जताई गई है. स्काईमेट ने एक बयान में कहा, ‘सूखे की 20 प्रतिशत संभावना (मौसमी वर्षा जो एलपीए के 90 प्रतिशत से कम है.’ बयान में कहा गया है कि अधिक बारिश (मौसमी बारिश एलपीए के 110 प्रतिशत से अधिक) की कोई भी संभावना नहीं है.

News Jungal Desk: निजी पूर्वानुमान एजेंसी स्काईमेट वेदर ने आज यानी सोमवार को कहा कि भारत में इस साल मानसून की सामान्य से कम बारिश होने की संभावना है और ला नीना की स्थिति समाप्त होने और अल नीनो के प्रभावित होने की आशंका के कारण सूखे की 20 प्रतिशत संभावनाएं है. मानसून के मौसम के दौरान लगातार 4 वर्षों तक सामान्य और सामान्य से अधिक बारिश के बाद, यह पूर्वानुमान कृषि क्षेत्र के लिए एक चिंता का विषय है. कृषि क्षेत्र फसल उत्पादन के लिए मानसून की बारिश पर काफी हद तक निर्भर करता है.

स्काईमेट का अनुमान है कि जून से सितंबर की 4 महीने की अवधि के लिए मानसून की बारिश 868.6 मिमी के दीर्घकालिक औसत (एलपीए) का लगभग 94 प्रतिशत हो सकती है. निजी पूर्वानुमान एजेंसी ने यह भी भविष्यवाणी की कि देश के उत्तरी और मध्य हिस्सों में बारिश की कमी भी देखी जा सकती है. उसके मुताबिक गुजरात, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में जुलाई और अगस्त के मुख्य मानसून महीनों के दौरान अपर्याप्त बारिश होने की उम्मीदें है. 

उत्तर भारत के कृषि प्रधान क्षेत्र पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में सीजन के दूसरे भाग के दौरान सामान्य से कम बारिश होने की संभावनाएं है. स्काईमेट ने एक बयान में कहा, ‘सूखे की 20 प्रतिशत संभावना (मौसमी वर्षा जो एलपीए के 90 प्रतिशत से भी कम है.’ बयान में कहा गया है कि अधिक बारिश (मौसमी बारिश एलपीए के 110 प्रतिशत से अधिक) की कोई संभावना नहीं है, जबकि सामान्य से अधिक बारिश की 15 प्रतिशत संभावना (105 प्रतिशत से 110 प्रतिशत के बीच), सामान्य बारिश की 25 प्रतिशत संभावना (96 प्रतिशत से 104 प्रतिशत के बीच) और सामान्य से कम वर्षा की 40 प्रतिशत होने की संभावना है. भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने अभी तक मानसून के मौसम के लिए अपना पूर्वानुमान जारी नहीं किया है, लेकिन उसने अप्रैल से जून तक देश के अधिकांश हिस्सों में सामान्य से अधिक अधिकतम तापमान और लू चलने की भविष्यवाणी जताई है.

भूमध्यरेखीय प्रशांत महासागर क्षेत्र के सतह पर निम्न हवा का दबाव होने पर यह स्थिति पैदा होती है. इसकी उत्पत्ति के अलग-अलग कारण माने जाते हैं लेकिन सबसे प्रचलित कारण में यह तब पैदा होता है, जब ट्रेड विंड, पूर्व से बहने वाली हवा काफी तेज गति से बहती हैं. इससे समुद्री सतह का तापमान काफी कम हो जाता है. इसका सीधा असर दुनियाभर के तापमान पर होता है और तापमान औसत से अधिक ठंडा होने लगता है.

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