


न्यूज़ जंगल डेस्क, कानपुर : भारत के 21वीं सदी में प्रवेश किए दो दशक से ज्यादा का वक्त गुजर चुका है, लेकिन देश में अभी ऐसे क्षेत्र हैं जहां के लोग मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं. विकास से अछूते इन्हीं इलाकों में झारखंड के पाकुड़ जिले का लिट्टीपाड़ा प्रखंड भी शामिल है. यहां के कदमटोला गांव के निवासी एक अदद सड़क के लिए वर्षों से तरस रहे हैं.
हालात ये हैं कि इस गांव के स्त्री-पुरुष के साथ ही बुजुर्ग और बच्चों को बांस के पुल से नदी पार करन पड़ता है. छात्र-छात्राएं भी इसी पुल के माध्यम से नदी के इस पार से उस पर जाने को अभिशप्त हैं. बारिश के मौसम में हमेशा दुर्घटना का अंदेशा बना रहता है. सड़क और पुल के अभाव में कोई भी अपनी बेटी या बेटे की शादी इस गांव में नहीं करना चाहता है. दिलचस्प है कि आज तक यहां न तो कोई जनप्रतिनिधि आया है और न ही कोई अधिकारी.
पाकुड़ से तकरीबन 30 किमी दूर लिट्टीपाड़ा प्रखंड का कदमटोला गांव स्थित है. जब से यह गांव बसा है, तभी से यहां के लोग पक्की तो छोड़िए एक अदद कच्ची सड़क के लिए भी तरस रहे हैं. अभी तक यहां सड़क का निर्माण नहीं हो सका है. ग्रामीण जान को जोखिम में डालकर पगडंडियों और बांस के पुल के सहारे आना-जाना करने को मजबूर हैं. इस गांव के चारों तरफ खेत हैं. बरसात के मौसम में तो पगडंडियां भी डूब जाती हैं और गांव टापू में तब्दील हो जाता है. ग्रामीणों का संपर्क मुख्य सड़क से कट जाता है. बरसात के मौसम में लोग गांव में ही कैद होने को मजबूर हो जाते हैं. जरूरत पड़ने पर लोगों को कपड़े-जूते उतार कर तकरीबन 2 किलोमीटर की दूरी तय करना पड़ता है, जब जार वे मुख्य सड़क तक पहुंचते हैं.
गांव में कोई बीमार पड़ गया तो ग्रामीण उसे खटिया पर लाद कर 2 किमी दूर मुख्य सड़क तक ले जाते हैं. उसके बाद बीमार शख्स को अस्पताल तक पहुंचाना संभव हो पाता है. बरसात से पहले ही लोग राशन-पानी का जुगाड़ कर लेते हैं. बांस का पुल बना कर रास्ते को दुरुस्त करते हैं. ग्रामीणों ने बताया कि हर वर्ष 25 से 30 हजार रुपए खर्च होता है. ग्रामीणों ने कई बार अधिकारियों से सड़क निर्माण कराने की गुहार लगा चुके हैं, लेकिन अभी तक उनकी बात को किसी तवज्जो नहीं दी है.
सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं
गांव में सड़क न होने से लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है. इस गांव की स्थिति झारखंड सरकार के विकास के दावों की पोल खोलती नजर आती है. सरकार की विकास योजनाओं का भी लाभ आज तक यहां नहीं पहुंच सका है. लोगों को मनरेगा या प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ नहीं मिल पाया है. गांव में अगर कोई बीमार हो जाता है तो वहां तक एंबुलेंस भी नहीं पहुंचती है. इसके कारण ग्रामीण मरीजों को खटिया के सहारे गांव से बाहर ले जाया जाता है. उसके बाद एंबुलेंस की मदद से मरीजों को अस्पताल तक पहुंचाया जाता है.
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युवक-युवतियों की शादी तक नहीं होती
स्थानीय लोगों ने बताया कि इस गांव के सड़क मार्ग से न जुड़ने के चलते युवक-युवतियों की शादी में दिक्कत आती है. आज भी कई ऐसे युवक-युवतियां हैं, जिनकी शादी पुल और सड़क के अभाव के कारण नहीं हो पाई. लड़की पक्ष इस गांव के लड़के से शादी करना नहीं चाहते. लोग पहले ही देख कर भाग जाते हैं. बड़ी बात यह है कि कदमटोला गांव में आज तक किसी जनप्रतिनिधि या अफसर के कदम नहीं पड़े हैं.