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करीब एक महीने से हैलट में दवाओं की किल्लत जारी

न्यूज जगंल डेस्क: कानपुर हैलट और उससे जुड़े अस्पतालों में दवाओं की किल्लत करीब एक महीने से चल रही है। शासन भी इसका कोई हल नहीं निकल पा रहा है। मेडिकल कॉलेज से अधिक दबाव डालने पर उत्तर प्रदेश मेडिकल कारपोरेशन ने सिर्फ सात दवाएं भेजी हैं जबकि मेडिकल कॉलेज ने 60 दवाएं मांगी थी। अस्पतालों के हालात बिगड़ रहे हैं। हैलट प्रशासन ने अपने स्तर से इंजेक्शन पैरासिटामाल और डेक्सामेथासोन जैसी जीवनरक्षक इंजेक्शन मंगवाएं हैं। वह भी अधिकतम एक सप्ताह चल सकेंगे। ऐसे में यहां भर्ती मरीजों का इलाज राम भरोसे ही चल रहा है।

सीएचसी और पीएचसी में इस्तेमाल होने वाली दवाइयां ही उपलब्ध है…
अस्पताल के अधिकारी कहते हैं कि उत्तर प्रदेश मेडिकल कारपारेशन के पास वही दवाएं हैं जो सीएचसी और पीएचसी में इस्तेमाल होती है। या अधिक से अधिक ओपीडी में इस्तेमाल योग्य हैं। मगर यहां मरीज अति गम्भीर अवस्था में आते हैं। 80 फीसदी मरीज रेफर होकर या कहीं से इलाज लेकर आते हैं उन मरीजों पर सामान्य दवाएं काम नहीं करती हैं। एडवांस दवाओं की जरूरत पड़ती है। एडवांस दवाओं में एंटीबाोटिक के कई ग्रुप नहीं है इसी तरह अन्य दवाएं भी हैं। हैलट प्रशासन ने 60 दवाओं की किल्लत की बात कहकर डिमांड भेजा था मगर सात दवाएं भेजी ई है। जो दवाएं भेजी गई हैं उनमें भी जिसे एक ग्राम इंजेक्शन मांगा गया था तो आधा ग्राम वाले इंजेक्शन भेज दिए गए। 1000 मिलीग्राम के टेबलेट की जगह 500 मिलीग्राम टेबलेट भेज दिए गए है। इस तरह कारपारेशन से हैलट अस्पताल में दवाओं का सिस्टम लड़खड़ा गया है।

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उर्सला में भी दवाओं की किल्लत…
हैलट के अलावा उर्सला अस्पताल की ओपीडी और इमरजेंसी में काफी संख्या में लोग सर्दी, बुखार, उलटी दस्त, सांस लेने में दिक्कत, गैस की समस्या से ग्रसित मरीज आ रहे हैं। पहले के मुकाबले केस लगभग तीन गुना हो गए हैं। इमरजेंसी और वार्ड में बेड सीमित हैं। मरीजों की अधिक संख्या का प्रभाव दवाओं के स्टाक पर पड़ा है। हाई बीपी, लिवर, गुर्दा रोग समेत अन्य गंभीर बीमारियों की एंटीबायोटिक दवाएं लगभग खत्म हो चुकी है। उर्सला में हार्ट अटैक में कारगर मेरोपेनम का इंजेक्शन खत्म हो गया है। डायबिटीज मरीजों की नियमित चलने वाली दवा उर्सला अस्पताल में नहीं है। निमोनिया, फेफड़ों में संक्रमण के लिए जरूरी एंटीबायोटिक की कुछ दवाएं उपलब्ध नहीं हैं।

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