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आनंद मोहन की रिहाई से जुड़ी याचिका पर 8 मई को सुनवाई करेगा SC

आनंद मोहन भले ही जेल से रिहा हो गए हैं, मगर उनकी रिहाई का मामला अब तूल पकड़ता जा रहा है. गोपालगंज के दिवंगत जिलाधिकारी जी कृष्णैया की पत्नी उमा कृष्णैया ने अपने पति की मौत के मामले में उम्र कैद की सजा काट रहे आनंद मोहन की रिहाई के आदेश के खिलाफ याचिका दाखिल की है. जिस पर अब सुप्रीम कोर्ट में 8 मई को सुनवाई होने वाली है. DM कृष्णैया की हत्या मामले में ही आनंद मोहन को उम्र कैद की सजा सुनाई गई थी और वे पिछले करीब 15 साल से जेल में थे

News Jungal Desk : बिहार के बाहुबली नेता और पूर्व सांसद आनंद मोहन (Anand Mohan) की रिहाई का मामला सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) पहुंचा है उनकी रिहाई के खिलाफ दायर की गई एक याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में 8 मई को सुनवाई होने वाली है ।  गोपालगंज के दिवंगत जिलाधिकारी जी कृष्णैया की पत्नी उमा कृष्णैया ने अपने पति की मौत के मामले में उम्र कैद की सजा काट रहे आनंद मोहन की रिहाई के आदेश के खिलाफ याचिका दाखिल करी है । DM कृष्णैया की हत्या मामले में ही आनंद मोहन को उम्र कैद की सजा सुनाई गई थी और वे पिछले करीब 15 साल से जेल में थे ।

बिहार सरकार ने 1994 में आईएएस कृष्णैया की हत्या के दोषी करार दिए गए पूर्व सांसद आनंद मोहन को समय से पहले रिहा कर दिया है। और आनंद मोहन के नेतृत्व में एक भीड़ ने 1994 में गोपालगंज के तत्कालीन जिला मजिस्ट्रेट जी कृष्णैय्या की हत्या कर दिया था । कृष्णैय्या की पत्नी ने शनिवार को गैंगस्टर से राजनेता बने आनंद मोहन की जेल से समय से पहले रिहाई को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था । और आनंद मोहन को 27 अप्रैल की सुबह सहरसा जेल से रिहा कर दिया गया था । और इसके कुछ दिनों पहले ही नीतीश कुमार सरकार ने 10 अप्रैल को बिहार जेल नियमावली, 2012 में संशोधन किया था । और जिन मामलों के लिए जेल की अवधि में छूट पर विचार नहीं किया जा सकता है उनमें से ‘ड्यूटी पर एक लोक सेवक की हत्या’ के खंड को हटा दिया गया था ।

मुजफ्फरपुर में 5 दिसंबर, 1994 को महबूबनगर के निवासी 1985 बैच के आईएएस अधिकारी जी कृष्णैया की हत्या के मामले में आनंद मोहन को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है । गैंगस्टर छोटन शुक्ला के अंतिम संस्कार के लिए उमड़ी भीड़ ने अचानक सामने आ गई आईएएस अधिकारी की गाड़ी पर हमला बोल दिया था । उस जुलूस का नेतृत्व तत्कालीन विधायक आनंद मोहन कर रहे थे । अक्टूबर 2007 में एक ट्रायल कोर्ट ने आनंद मोहन को मौत की सजा सुनाई गई है । जिसे दिसंबर 2008 में पटना हाई कोर्ट ने आजीवन कारावास में बदल दिया है । आनंद मोहन ने इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी, लेकिन कोई राहत नहीं मिली और मोहन 2007 से सहरसा जेल में बंद थे ।

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