


न्यूज़ जंगल डेस्क,कानपुर : तेल की बढ़ती कीमतों के बीच भारत के सबसे बड़े बैंक की तरफ से एक रिपोर्ट जारी की गई। SBI के द्वारा जारी की गई इस रिपोर्ट को नाम दिया गया है। इस रिपोर्ट में SBI ग्रुप चीफ इकोनॉमिक एडवाइजर सौम्य कांति घोष ने तेल की बढ़ती कीमतों के कारण पर चर्चा की है। इसके अलावा इस रिपोर्ट में कुछ अन्य पहलुओं पर भी ध्यान दिया गया है। आइए जानते हैं SBI द्वारा जारी इस रिपोर्ट के बारे में। SBI ग्रुप चीफ इकोनॉमिक एडवाइजर सौम्य कांति घोष के मुताबिक, “वैश्विक आपूर्ति की कमी और दुनिया में बढ़ती मांग के चलते तेल की कीमतों में उछाल देखने को मिला है। इस तरह के हालात साल 2010 में भी देखे गए थे, जब क्रूड ऑयल की कीमतें 100 डॉलर से भी ऊपर पहुंच गईं थी। हालांकि 2014 के अंत तक भारत में तेल की कीमतों में गिरावट देखने को मिली थी।
हालांकि, कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों और COVID-19 के कारण सप्लाई चेन में रुकावट आने के कारण एक बार फिर से तेल की कीमतें तेजी से बढ़ रही हैं। इसके अलावा इस रिपोर्ट में, सितंबर 2021 में उच्च व्यापार घाटे का उल्लेख किया गया है। लेकिन रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि, यह आंकड़ा सीजनल है और इस दौरान इंपोर्ट और एक्सपोर्ट में वृद्धि देखी गई है। जारी रिपोर्ट के मुताबिक जिस हिसाब से एक्सपोर्ट में तेजी देखी जा रही है, जल्द ही यह 400 बिलियन डॉलर का आँकड़ा छू सकता है।”
इसके अलावा SBI की तरफ से जारी इस रिपोर्ट के मुताबिक, “भारत में इस दौरान काफी जबरदस्त Foreign Direct Investment(FDI) देखने को मिला है। हालांकि, इस दौरान, Foreign Portfolio Investment में कुछ हद तक अस्थिरता भी देखने को मिली है।”
इसके अलावा रिपोर्ट के मुताबिक, “होलसोल प्राइस इंडेक्स (WPI) के साल 2021-22 में 11.6 फीसद और कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स के 5.34 फीसद रहने की उम्मीद है।
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