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कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न दिए जाने के फैसले का राहुल ने किया स्वागत, भाजपा के लिए कही ये बातें….

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर को उनके 100वें जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित की है। उन्होंने कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देने के फैसले का भी स्वागत किया है। 

News jungal desk: कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर को उनकी 100वीं जयंती पर श्रद्धांजलि दी है। आपको बता दें कि केंद्र सरकार ने कर्पूरी ठाकुर को देश का सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न देने का एलान किया है। इसके बाद राहुल ने केंद्र सरकार के इस फैसले का स्वागत किया है। सोशल मीडिया पर कर्पूरी ठाकूर को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि देते हुए राहुल गांधी ने केंद्र सरकार पर तंज भी कसा है। 

कर्पूरी ठाकुर को राहुल ने दी श्रद्धांजलि 
आपको बता दें कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर राहुल ने कहा, ‘सामाजिक न्याय के अप्रतीम योद्धा और जननायक कर्पूरी ठाकुर जी को उनकी जन्म शताब्दी पर सादर श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं। वह निश्चित ही भारत के अनमोल रत्न हैं और उन्हें मरणोपरांत भारत रत्न दिए जाने के फैसले का भी मैं दिल से स्वागत करता हूं। 2011 में हुई सामाजिक और आर्थिक जातीय जनगणना के नतीजों को भाजपा सरकार द्वारा छिपाना और राष्ट्रव्यापी जनगणना के प्रति उनकी उदासीनता सामाजिक न्याय के आंदोलन को कमज़ोर करने का प्रयास है।’

इसके साथ ही कांग्रेस नेता ने आगे कहा, ‘भागीदारी न्याय‘ भारत जोड़ो न्याय यात्रा के पांच न्यायों में से एक प्रमुख न्याय और सामाजिक समानता का केंद्र बिंदु है, जिसकी शुरुआत सिर्फ जातिगत जनगणना के बाद ही हो सकती है। सही मायने में यही कदम जननायक कर्पूरी ठाकुर जी और पिछड़ों और वंचितों के अधिकारों के लिए उनके संघर्षों को सच्ची श्रद्धांजलि भी होगा। देश को अब ‘सांकेतिक राजनीति’ नहीं बल्की ‘वास्तविक न्याय’ चाहिए।’

जानिए कौन थे कर्पूरी ठाकुर
आपको बता दें कि कर्पूरी ठाकुर बिहार के दूसरे उपमुख्यमंत्री और दो बार मुख्यमंत्री रहे थे। इसके साथ ही उनकी लोकप्रियता के कारण उन्हें जन-नायक कहा जाता था। उनकी पहचान एक  स्वतंत्रता सेनानी, शिक्षक और राजनीतिज्ञ के रूप में रही है। चुनावी विश्लेषकों की मानें तो कर्पूरी ठाकुर को बिहार की राजनीति में नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। 1988 में कर्पूरी ठाकुर का निधन हो गया था, लेकिन इतने साल बाद भी वो बिहार के पिछड़े और अति पिछड़े मतदाताओं के बीच काफी लोकप्रिय हैं। 

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