


न्यूज़ जंगल डेस्क,कानपुर : कोयले की कमी और बिजल संकट की आशंका के बीच केंद्र पूरी तरह से इस मुद्दे पर मुस्तैद हो गया है। केंद्र की तरफ से कोयला आपूर्ति बढ़ाने के अलावा उस बिजली का उपयोग करने का दिशा निर्देश राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को दिया गया है जिसको आवंटित नहीं किया गया है। इस बीच केंद्र लगातार हालात की समीक्षा भी कर रहा है। पहले केंद्रीय गृहमंत्री की अध्यक्षता में इस मुद्दे पर एक अहम बैठक हुई थी जिसमें कोयला मंत्री प्रह्लाद पटेल और बिजली मंत्री आरके सिंह के अलावा कोल इंडिया और एनटीपीसी के वरिष्ठ अधिकारियों ने हिस्सा लिया था। अब इस मुद्दे पर पीएम मोदी भी समीक्षा बैठक करने वाले हैं। माना जा रहा है कि ये बैठक आज ही हो सकती है।
पीएम मोदी के इस समीक्षा बैठक में शामिल होने से ही ये बात साफ हो जाती है कि ये मामला कितना गंभीर है और केंद्र इस पर कितना सतर्क है। आपको बता दें कि केंद्र पहले ही राज्यों को निर्बाध कोयला आपूर्ति सुनिश्चित कराने की बात कह चुका है। गौरतलब है कि दिल्ली, राजस्थान, पंजाब, उत्तर प्रदेश, गुजरात, तमिलनाडु ने प्रधानमंत्री से इस संबंध में हस्तक्षेप करने की मांग की थी। वहीं दूसरी तरफ कोयला उत्पादन और इसके डिस्पैच में तेजी आई है। कोल इंडिया ने भी भरोसा दिलाया है कि संयंत्रों को कोयले की कमी नहीं होने दी जाएगी। कोल इंडिया ने इस बात की भी उम्मीद जताई है कि आने वाले कुछ दिनों में कोयले के स्टाक की स्थिति में सुधार हो जाएगा।
इस बीच कोयला की तरफ से बिजली संयंत्रों में भेजे जाने वाले कोयले की हर रोज समीक्षा की जा रही है, जिससे कहीं भी कमी न हो पाए। कोल इंडिया ने संबंधित सभी कोयला कंपनियों को इसके उत्पादन और इसके डिस्पैच के तय लक्ष्य को हर हाल में पूरा करने के निर्देश भी दिए हैं। कोल इंडिया का कहना है कि बिजली संयंत्रों से उन्हें हर रोज ही 20-25 लाख टन कोयले की मांग आ रही है जबकि उन्हें बीते चार दिनों से 18 लाख टन कोयले की आपूर्ति की जा रही है। कोल इंडिया ने विश्वास जताया है कि आने वाले दिनों में वो हर रोज 20 लाख टन कोयला डिस्पैच कर सकेंगे। आपको बता दें कि सामान्य दिनों में एक माह के दौरान बिजली संयंत्रों को 40-45 मिलियन टन कोयले की जरूरत होती है।
यह भी देखेंःकानपुरःविजय रथ यात्रा से फिर आएगा परिवर्तन-अखिलेश यादव