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01 अक्टूबर से लागू होंगे क्रेडिट कार्ड से जुड़े नए नियम, जाने कैसे करेंगे प्रभावित…

Reserve Bank of India (RBI) ने इस साल अप्रैल माह में क्रेडिट और डेबिट कार्ड जारी करने से जुड़े नए नियमों की घोषणा की थी। जिनमे से कुछ नियम तो 1 जुलाई से लागू हो चुके हैं। वही बाकी नियम…

Reserve Bank of India (RBI) ने इस साल अप्रैल माह में क्रेडिट और डेबिट कार्ड जारी करने से जुड़े नए नियमों की घोषणा की थी। जिनमे से कुछ नियम तो 1 जुलाई से लागू हो चुके हैं। वही बाकी नियम 1 अक्टूबर से लागू होने वाले हैं। इनमें क्रेडिट कार्ड से जुड़े तीन नए नियम भी शामिल हैं, जो अगले महीने से शुरू हो कर दिए जायेंगे।

क्या हैं यह नए नियम
आपको बता दे कि 1 अक्टूबर से क्रेडिट कार्ड से जुड़े बाकी नियमो को लागू कर दिया जायेगा। इन नियमों को कार्डधारकों की सुरक्षा को ध्यान में रखकर बनाया गया है। कई बार कार्डधारकों को ऐसी समस्या से गुजरना पड़ता है, जो वो नहीं चाहते हैं। जैसे की साइबर अटैक, धोखाधड़ी, दूसरों के द्वारा कार्ड नंबर का गलत इस्तेमाल करना आदि। वही नए नियम कार्डधारकों के अधिकारों की रक्षा करते हैं, ताकि उनका लेने-देन सुरक्षित तरीके से हो सके।

  1. OTP के जरिए ली जाएगी सहमति
    अब क्रेडिट कार्ड जारी करने वालों को कार्डधारकों से सहमति लेनी होगी। अगर कार्डधारक ने क्रेडिट कार्ड जारी होने के 30 दिनों तक अपने क्रेडिट कार्ड को सक्रिय नहीं किया है, तो जारीकर्ता बैंक कार्ड को सक्रिय करने से पहले कार्डधारक से वन टाइम पासवर्ड (OTP) आधारित सहमति लेनी होगी। यदि ग्राहक यह अस्वीकार इसे कर देता है, तो कार्ड जारीकर्ता को 07 वर्किंग डेज के अंदर बिना किसी लागत के अकाउंट बंद करना होगा।
  2. क्रेडिट लिमिट बढ़ाने से पहले लेनी होगी कार्डधारक की सहमति
    यह नियम भी कार्डधारक के अधिकारों के दायरे को बढ़ाता है। अब क्रेडिट सीमा बढ़ाने से पहले ग्राहक की सहमति लेनी अनिवार्य होगी। इसके पहले जब कार्डधारकों की क्रेडिट सीमा बढ़ा दी जाती थी तो उनको केवल एक SMS ही प्राप्त होता था। वही अब 1 अक्टूबर से क्रेडिट लिमिट बढ़ाने के लिए कार्ड जारीकर्ता को कोर्डधारक की अनुमति की आवश्यकता होगी।
  3. नियम और शर्त
    अब पेमेंट के नियम और शर्तें सामने होंगी। क्रेडिट कार्ड के तीसरे नए नियम के अनुसार अब कार्ड जारीकर्ता या बैंक मिनिमम पेमेंट के साथ पेमेंट के नियमों और शर्तों की सही जानकारी देंगे। इसका मतलब अब पेमेंट संबंधी सभी नियम कायदे, चार्जेस, बकाया, टैक्स को कैपिटलाइज नहीं किया जाएगा। इसके साथ ही अब कार्ड जारीकर्ता ब्याज की वसूली या चक्रवृद्धि ब्याज के उद्देश्य से अन्य चार्ज नहीं लगा सकेंगे। इससे बैंकों के अलग-अलग चार्जेस और ग्राहकों से लिए जाने वाली अन्य चार्जेज से छुटकारा मिल जाएगा।

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