कानपुर मेट्रो ने सिग्नल को लेकर एक और पड़ाव पार कर लिया है। आईआईटी से मोतीझील तक के 9 किलोमीटर के रूट पर सिग्नलिंग प्रणाली को लगभग पूरा कर लिया गया है। पहले चरण में अब सिग्नलिंग सिस्टम की टेस्टिंग शुरू हो गई है। आम तौर पर सिग्नल लाल, हरे या पीले होते हैं लेकिन मेट्रो में लाल, हरे के साथ बैंगनी और सफेद रंग के सिग्नल शामिल होंगे। इन सिग्नलों के खास संकेत भी हैं।



कुल 43 सिग्नल लगेंगे
9 किमी. लंबी मेनलाइन पर कुल 43 सिग्नल लगने हैं, जिनमें से 35 को इन्स्टॉल कर दिया गया है। सिर्फ मोतीझील स्टेशन पर सिग्नल लगाने का काम चल रहा है। वहीं मेट्रो डिपो में कुल 29 सिग्नल लगने हैं, जिनमें से 27 को इन्स्टॉल कर दिया गया है।
बैंगनी रंग का होता है खास संकेत
मेट्रो अधिकारियों के अनुसार, ट्रेन के ट्रायल रन से पहले ही सिग्नलिंग सिस्टम को चार्ज कर इसका परीक्षण शुरू कर दिया गया है। इस प्रक्रिया को सिग्नलिंग पावर ऑन टेस्ट बोला जाता है। मेट्रो ट्रैक पर लाल, हरे और बैंगनी रंग के सिग्नल होंगे। इसमें लाल रंग ट्रेन को रोकने का संकेत देगा।
हरे रंग का मतलब रूट क्लियर होने से है और ट्रने पूरी गति से दौड़ सकेगी। बैंगनी रंग के सिग्नल का अर्थ है कि ट्रेन को एक निर्धारित स्पीड पर ही चलने की अनुमति होगी। बैंगनी रंग का सिग्नल तब मिलेगा, जब कि ट्रैक पर कुछ ही दूरी में दूसरी ट्रेन मौजूद होगी।
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सफेद रंग के सिग्नल
मेट्रो डिपों में ट्रेनों के मूवमेंट के लिए सफेद रंग के सिग्नल का इस्तेमाल होगा। इस सिग्नल में लगीं तीन लाइटों में दो, जब ऊर्ध्वाकार (हॉरिज़ॉन्टल) जलती हैं तब ट्रेन के लिए रुकने का संकेत होता है और जब दो लाइटें 45 डिग्री के कोण पर जलती हैं। तब ट्रेन के लिए चलने का संकेत होता है। इस सिग्नल को ‘शन्ट सिग्नल’ कहा जाता है।