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देवों के देव महादेव , भगवान शंकर और सर्प के अबूझ रिश्ते

भगवान शिव के गले में लिपटे नजर आने वाले सांप का नाम वासुकी है. जो भगवान शिव के अति प्रिय भक्त हैं. कहते हैं नागवंशी लोग शिव के क्षेत्र हिमालय में ही रहते थे, इन सभी से शिव जी को बड़ा लगाव था.

शिव और सर्प के अबूझ रिश्ते
न्यूज जंगल डेस्क, कानपुर : भगवान शंकर जिसके आराध्य हों या फिर अगर कोई साधक भगवान शंकर का ध्यान करता हो तो उनके बारे में कई भाव मन में प्रस्फुटित होते हैं। जैसे कि भगवान शंकर त्रिशूल लिए साधना पर बैठे है। उनका तीसरा नेत्र यानी भ्रिकुटी बंद है। उनकी जटाओं से गंगा प्रवाहित हो रही है। उनका शरीर समुद्र मंथन के समय विषपान करने की वजह से नीला दिख रहा है। भगवान शंकर की जटाओं और शरीर के इर्द-गिर्द कई सांप लिपटे हुए है। शिव के मस्तक पर एक ओर चंद्र है तो दूसरी ओर महाविषधर सर्प भी उनके गले का हार है। उनके परिवार में भूत-प्रेत, नंदी, सिंह, सर्प, मयूर व मूषक सभी का समभाव देखने को मिलता है। साधन क्रम में विचार सागर में कई विचारों का आगमन होता है। भगवान शंकर के बारे में कई कथा-कहानियां पुराणों, धार्मिक ग्रंथों में वर्णित है। उनसे जुड़ी कई कथाएं साधकों को उनसे जोड़े रखती है और साधकों के लिए वह प्रेरणादायी भी है।

पौराणिक मान्यताओं में भगवान शंकर और सर्प का जुड़ाव गहरा है तभी तो वह उनके शरीर से लिपटे रहते है। यह बात सिर्फ मान्यताओं तक ही सीमित नहीं है बल्कि यह इस कलियुग में भी हकीकत में परिलक्षित होती दिखती है। यूं तो भगवान जनता जनार्दन के लिए अपनी कृपा बरसाने में अति दयालु है लेकिन कहते हैं कि अगर आपको भगवान शंकर के दर्शन ना हो और अगर सर्प के दर्शन हो जाएं तो समझिए कि साक्षात भगवान शंकर के ही दर्शन हो गए।

शिव का नागों से अटूट संबंध
भगवान शिव के गले में लिपटे नजर आने वाले सांप का नाम वासुकी है. जो शिव के अति प्रिय भक्त हैं. कहते हैं नागवंशी लोग शिव के क्षेत्र हिमालय में ही रहते थे, इन सभी से शिव जी को बड़ा लगाव था. इस बात का प्रमाण नागेश्वर ज्योतिर्लिंग है. जिसके नाम से पता चलता है कि शिव नागों के ईश्वर हैं और शिव का उनसे अटूट संबंध हैं. जिसे देखते हुए हर साल नाग पंचमी का त्योहार मनाया जाता है. इस दिन पूरे श्रद्धा भाव से नागों की पूजा-अर्चना की जाती है. ऐसा करने से शिव जी को खुशी मिलती है और वो अपने भक्तों को सुख समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं.

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