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Eid Ul Adha 2025 : बकरीद भारत और सऊदी में तारीख व महत्व जानें

बकरीद 2025: सिर्फ़ त्यौहार नहीं, एक संदेश

ईद-उल-अज़हा जिसे आम तौर पर बकरीद भी कहा जाता है, इस्लाम का एक अहम त्यौहार है। (Eid Ul Adha 2025) यह सिर्फ़ धार्मिक उत्सव ही नहीं है बल्कि त्याग, आस्था और सेवा के मूल्यों का प्रतीक भी है। जैसे-जैसे ईद-उल-अज़हा नज़दीक आ रही है, लोगों में तैयारियाँ और उत्साह भी बढ़ने लगा है।

भारत और सऊदी अरब में इसकी तारीख अलग-अलग क्यों है?

बकरीद की तारीख इस्लामिक कैलेंडर के 12वें महीने धू अल-हिज्जा के चांद पर निर्भर करती है। चूंकि हर देश में चांद दिखने की प्रक्रिया अलग-अलग होती है, इसलिए बकरीद की तारीखें भी अलग-अलग हो सकती हैं।

भारत और सऊदी के बीच तारीखों में अंतर: क्या है कारण?

इस अंतर के पीछे मुख्य कारण चांद देखने की प्रक्रिया में अंतर है।

चांद देखना क्यों जरूरी है?

इस्लामी परंपरा में हर महीने की शुरुआत चांद देखकर होती है। इसलिए ईद जैसे त्योहारों की तारीखें भी चांद पर निर्भर करती हैं। यही वजह है कि हर देश अपने यहां चांद दिखने के आधार पर ईद की तारीख तय करता है।

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बकरीद का धार्मिक महत्व

बकरीद का त्यौहार हज़रत इब्राहिम (अलैहि सलाम) की महान (Eid Ul Adha 2025) कुर्बानी की याद में मनाया जाता है, जब उन्होंने अल्लाह के आदेश पर अपने बेटे हज़रत इस्माइल की कुर्बानी देने का संकल्प लिया था।

अल्लाह उनकी भक्ति से प्रसन्न हुए और हज़रत इस्माइल को जीवनदान दिया। यह त्यौहार उन्हीं की याद में मनाया जाता है। इस दिन मुसलमान एक जानवर की कुर्बानी देते हैं और उसके मांस को तीन हिस्सों में बांटते हैं –

ईद-उल-अजहा 2025 भारत में 7 जून और सऊदी अरब में 6 जून को मनाई जाएगी। यह त्यौहार न केवल इबादत का प्रतीक है बल्कि त्याग, सेवा और मानवता के मूल्यों को अपनाने का भी प्रतीक है।

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