Kaal Bhairav Jayanti 2024

Kaal Bhairav Jayanti 2024: जाने काल भैरव के पूजा , महत्त्व और जन्म की कथा !

Kaal Bhairav Jayanti 2024: भगवान काल भैरव का प्राकट्य शिवपुराण की एक महत्वपूर्ण कथा से जुड़ा है, जो हमें धर्म, न्याय और अहंकार के विनाश का संदेश देती है।

Kaal Bhairav Jayanti Puja Muhurat

काल भैरव, भगवान शिव के उग्र और न्यायिक स्वरूप हैं। उनकी पूजा विशेष रूप से कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को की जाती है, जिसे काल भैरव जयंती के रूप में मनाया जाता है।

काल भैरव का प्राकट्य

पौराणिक कथा के अनुसार, ब्रह्मा जी ने अपनी सृष्टि निर्माण की क्षमता को लेकर गर्व करते हुए स्वयं को सर्वोपरि मान लिया। उनके इस अहंकार से भगवान शिव अप्रसन्न हो गए।

इसी समय भगवान शिव के उग्र रूप, काल भैरव, का प्राकट्य हुआ। उन्होंने ब्रह्मा जी के पांचवें सिर को काटकर उनके अहंकार का अंत किया। यह कथा यह संदेश देती है कि अहंकार और अधर्म का अंत निश्चित है।

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Kaal Bhairav Jayanti IMPORTANCE

काल भैरव जयंती (Kalashtami 2024) का दिन भगवान काल भैरव की आराधना और उनके प्रति समर्पण का प्रतीक है। इस दिन पूजा करने से भक्तों को जीवन में भय, संकट और कष्टों से मुक्ति मिलती है।

Kaal Bhairav Puja Vidhi

काल भैरव को पंच भूतों (पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश) के स्वामी माना जाता है, और वे जीवन में सभी वांछित उपलब्धियों और ज्ञान का आशीर्वाद प्रदान करते हैं।

Kaal Bhairav Jayanti Puja Muhurat

  • अष्टमी तिथि प्रारंभ: 22 नवंबर 2024, शाम 6:07 बजे।
  • अष्टमी तिथि समाप्त: 23 नवंबर 2024, रात 7:56 बजे।
    इसलिए, 22 नवंबर 2024 को काल भैरव जयंती मनाई जाएगी।

Kaal Bhairav Puja Vidhi

  1. सुबह स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  2. भगवान काल भैरव की मूर्ति या चित्र के सामने दीपक जलाएं।
  3. काले तिल, नारियल, सरसों का तेल और पान अर्पित करें।
  4. काल भैरव अष्टक या शिव चालीसा का पाठ करें।
  5. भगवान से भय, संकट और सभी बाधाओं से मुक्ति की प्रार्थना करें।

यह त्योहार हमें भगवान काल भैरव के प्रति श्रद्धा रखने, धर्म का पालन करने, और अन्याय व अहंकार से दूर रहने का संदेश देता है।

Kaal Bhairav Ki Janm Katha

भगवान काल भैरव के जन्म की कथा (Kaal Bhairav Jayanti Vrat Katha) में यह भी उल्लेख है कि जब वे प्रकट हुए, तो उनके क्रोध ने ब्रह्मा के अभिमान को चुनौती दी। कथा के अनुसार, भगवान काल भैरव ने ब्रह्मा के पांच में से एक मुख को अपने नाखूनों से अलग कर दिया। यह मुख ब्रह्मा के अहंकार का प्रतीक था, और इसे हटाने का उद्देश्य अहंकार का नाश करना था। इस घटना के बाद, ब्रह्मा ने अपनी भूल स्वीकार की और भगवान शिव से क्षमा याचना की।

Story of Kaal Bhairav

इसके पश्चात भगवान काल भैरव को “संसार के रक्षक” के रूप में मान्यता दी गई। उन्हें काशी का कोतवाल (रक्षक) कहा गया, और यह विश्वास है कि बिना उनकी अनुमति के कोई भी व्यक्ति काशी नगरी को छोड़ नहीं सकता। काल भैरव न केवल दुष्टों का संहार करते हैं, बल्कि वे धर्म, न्याय और सत्य के रक्षक भी हैं।

काल भैरव (Kaal Bhairav Jayanti 2024) की पूजा विशेष रूप से उनके भक्तों द्वारा भय, रोग, और बाधाओं को दूर करने के लिए की जाती है। काल भैरव को समय और मृत्यु का स्वामी माना जाता है, और काल भैरव की आराधना से व्यक्ति के जीवन में भय का अंत और सुरक्षा का अनुभव होता है।

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Story of Kaal Bhairav

कथा के अनुसार, भगवान ब्रह्मा ने अपनी पाँच मुखों में से एक मुख से अहंकारपूर्ण शब्द कहे, जिससे भगवान शिव ने काल भैरव का आवाहन किया। काल भैरव ने ब्रह्मा के उस अहंकारपूर्ण मुख को काट दिया, जो उनके पाँचवें सिर का प्रतीक था। इससे ब्रह्मा का अहंकार समाप्त हो गया और उन्होंने भगवान शिव से क्षमा मांगी।

Kaal Bhairav Jayanti Vrat Katha

इस घटना ने यह संदेश दिया कि अहंकार का नाश सत्य और धर्म की स्थापना के लिए आवश्यक है। काल भैरव ,ब्रह्म हत्या के पाप से मुक्ति पाने के लिए पूरे पृथ्वी की यात्रा की और काशी पहुंचकर अपने पाप से मुक्त हो गए।

काशी को “मुक्ति स्थली” और काल भैरव को “काशी के कोतवाल” इसलिए कहा जाता है, क्योंकि यह स्थान मोक्ष प्राप्ति का केंद्र माना जाता है, और काल भैरव वहाँ के न्याय और सुरक्षा के रक्षक हैं। इस मान्यता के अनुसार, काशी आने वाले हर व्यक्ति को काल भैरव की अनुमति लेना आवश्यक होता है।

यह कथा हमें यह भी सिखाती है कि अहंकार का त्याग और सत्य के मार्ग पर चलना आध्यात्मिक विकास के लिए कितना महत्वपूर्ण है।

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