कानपुर। उद्योगों का कब्रिस्तान बन चुके कानपुर की लाज बचाने में इंडस्ट्रियल estate दादानगर ने अहम भूमिका निभाई है। दादानगर में जल्द ही 165 होज़री यूनिटें स्थापित होंगी। कानपुर में टेक्सटाइल उद्योग की तरह होज़री उद्योग भी आज़ादी से पहले का है। टेक्सटाइल, इंजीनियरिंग उद्योग पहले ही लगभग खत्म हो चुका है। होज़री को कानपुर में यूपी का होज़री हब मन जाता है।



कानपुर इंडस्ट्रियल को-ऑपरेटिव एस्टेट दादानगर के चेयरमैन मलिक विजय कपूर ने बताया कि होज़री के सिलाई क्लस्टर के रूप 165 यूनिटें एकसाथ लगेंगी। यह क्लस्टर उत्तर प्रदेश लघु उद्योग निगम के सहयोग से संभव हुआ। बड़ी बात यह है कि ये यूनिटें दादानगर में होंगी।



होज़री कारोबारी बलराम नरूला का कहना है कि कानपुर होज़री का हब है। ऐसे में इस क्लस्टर से होज़री उद्योग को पंख लग जाएंगे। इससे पूर्व कोपेस्टेट सभागार में उद्यमियों को संबोधित करते हुए यूपीएसआईसी एमडी रामयज्ञ मिश्रा ने होज़री सिलाई क्लस्टर की विस्तृत जानकारी दी। कार्यक्रम का संचालन कोपेस्टेट सचिव ए एस कोतवाल ने किया।


