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गीता ने दृष्टिहीनता को नहीं बनने दिया सफलता में रोड़ा

न्यूज जगंल डेस्क: कानपुर केरल की त्रिशूर की रहने वाली गीता सलिश देख नहीं सकतीं है। कम उम्र में ही उनकी दोनों आंखों की रोशनी चली गई थी। अचानक उनकी जिंदगी में अंधियारा हो गया, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। आज उनका हुनर देशभर में अपनी खुशबू बिखेर रहा है। पिछले साल कोविड के दौरान गीता ने ऑनलाइन फूड बिजनेस शुरू किया। वे घर से ही अचार, चटनी, घी जैसे प्रोडक्ट बनाकर मध्यप्रदेश, राजस्थान सहित देशभर में बेचती हैं। इससे हर महीने 1.5 लाख रुपए उनकी कमाई हो जाती है।

36 साल की गीता बचपन से ही पढ़ने में होनहार थीं। अपने क्लास में हमेशा बेहतर करती थीं। वे पढ़ लिखकर कुछ करना चाहती थीं, लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था। जब वे 8वीं क्लास में थीं तो उनकी आंखों में दिक्कत हुई। ऑप्टिकल नर्व डैमेज हो गई। इसे रेटिनिस पिगमेंटोसा कहते हैं। कई डॉक्टर्स से उन्हें दिखाया गया, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ और कुछ ही दिनों बाद उनकी आंखों की रोशनी चली गई।

एक ही झटके में सब सपने खत्म हो गए

गीता कहती हैं कि सब कुछ अचानक हुआ था। एकदम से मेरी आंखों की रोशनी चली गई। सब सपने खत्म हो गए। कई महीने मैं बहुत परेशान रही। समझ नहीं आता था कि क्या करूं। परिवार के लोगों ने बहुत कोशिश की, लेकिन कामयाबी नहीं मिली।

वे कहती हैं कि जब यकीन हो गया कि वापस आंख ठीक नहीं हो सकती तो इसी को किस्मत मानकर आगे बढ़ने का इरादा किया। वे ब्लाइंड बच्चों के साथ पढ़ने लगीं और उनकी तकनीक सीखने लगीं। पहले 10वीं, 12वीं और फिर ग्रेजुएशन की पढ़ाई की। इसके बाद जॉब्स के लिए अप्लाई करने लगी। इसी बीच मेरी शादी हो गई। पति फार्मेसी सेक्टर में काम करते थे।

रेस्टोरेंट में हाथ आजमाया, लेकिन बाद में बंद करना पड़ा

गीता बताती हैं कि पति मुझे बहुत सपोर्ट करते थे। हर चीज में मेरी मदद करते थे। कभी इस चीज का उन्होंने एहसास नहीं होने दिया कि मैं ब्लाइंड हूं, लेकिन मैं खुद कुछ करना चाहती थी, उन्हें फाइनेंशियल सपोर्ट करना चाहती थी। इसके बाद करीब 8 साल पहले हमने एक रेस्टोरेंट शुरू किया। इसके लिए जो भी जरूरी था हमने सीखा, हर तरह के फूड आइटम्स और डिश बनाना सीखा। फिर काम शुरू कर दिया।

भास्कर से बात करते हुए वे कहती हैं कि कुछ साल तक रेस्टोरेंट अच्छा चला। ठीक ठाक आमदनी हो जाती थी, लेकिन बाद में दिक्कत होने लगी। ग्राहक घट गए और कुछ वक्त बाद उन्हें अपना रेस्टोरेंट बंद करना पड़ा।

नौकरी के लिए बहुत कोशिश की, लेकिन कामयाबी नहीं मिली

गीता कहती हैं कि रेस्टोरेंट का जब बिजनेस बंद हो गया तो तय किया कि कहीं नौकरी करूं। पॉलिटिकल साइंस से पढ़ी थी इसलिए मुझे उम्मीद थी कि कहीं तो नौकरी मिल ही जाएगी। हर जगह कोशिश की, कई फॉर्म भरे, लेकिन ब्लाइंडनेस की वजह से नौकरी नहीं मिली। हर कोई रिजेक्ट कर देता था।

गीता के पति कहते हैं कि तब वह बहुत परेशान रहने लगी थी। मैंने उसे हिम्मत और हौसला दिया। उसके बाद उसने कुछ नया करने का प्लान किया। और घर से ही अंडे बेचने लगी। वे कहती हैं कि अंडे का काम अच्छा चला रहा था। मैंने कुछ मुर्गियां पाली थीं। उनसे जो भी अंडे निकलते, उसे लोकल मार्केट में भेजती थी। इससे अच्छी खासी आमदनी हो जाती थी, लेकिन कोविड में यह भी बंद हो गया। तब लॉकडाउन की वजह से एकदम से बिक्री बंद हो गई।

कोविड में शुरू किया होममेड बिजनेस

गीता कहती हैं कि कोविड में पति की भी आमदनी बंद सी हो गई थी। कोई और सोर्स ऑफ इनकम था नहीं। नौकरी की तो कहीं गुंजाइश ही नहीं थी। जब ऐसे किसी ने मुझे नौकरी नहीं दी तो कोविड में कौन देगा। तब तो अच्छे-अच्छे लोगों की नौकरी जा रही थी।

वे कहती हैं कि मुझे खाना पकाने आता था और फूड बिजनेस का आइडिया भी था। इसलिए प्लान किया कि घर से ही कुछ फूड प्रोडक्ट बनाकर बेचा जाए। तब कई लोग ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर शिफ्ट हो रहे थे। मैं भी घर से ही अचार और चटनी बनाकर होम टु होम नाम से सोशल मीडिया पर फोटो-वीडियो अपलोड करने लगी। किस्मत अच्छी रही और जल्द ही लोगों का रिस्पॉन्स मिलने लगा। बाद में घी और खजूर का काढ़ा बनाकर बेचने लगी, क्योंकि कोविड में इसकी ज्यादा डिमांड थी।

ये भी देखे: राष्ट्रपति के अगले कानपुर दौरे पर भी अधूरा रहेगा सर्किट हाउस

खुद ही स्मार्टफोन से मैनेज करती हैं बिजनेस

गीता कहती हैं कि सोशल मीडिया पर जब लोगों का रिस्पॉन्स बेहतर मिला तो हमने खुद की वेबसाइट भी बनवा ली। इससे हमारे बिजनेस को काफी ग्रोथ मिली और देशभर से ऑर्डर आने लगे। फिलहाल गीता करीब 10 तरह के होममेड प्रोडक्ट की मार्केटिंग करती हैं। उन्होंने अपने साथ चार महिलाओं को काम पर रखा है। जो फूड तैयार करने में उनकी मदद करती हैं।

इसके बाद सब कुछ वे खुद ही मैनेज करती हैं। खुद ही स्मार्टफोन से ऑर्डर लेती हैं और खुद ही मार्केटिंग भी संभालती हैं। उनके पति बताते हैं कि सॉफ्टवेयर की मदद से वे कस्टमर्स के मैसेज को भी पढ़ लेती हैं और उनके साथ चैटिंग भी कर लेती हैं। इतना ही नहीं रॉ मटेरियल के लिए भी वह खुद ही मार्केट जाती हैं। ऑनलाइन के साथ त्रिशूर और केरल के कुछ हिस्सों में वे रिटेल मार्केटिंग भी करती हैं। इसकी देखरेख भी गीता ही करती हैं।

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