


न्यूज़ जंगल डेस्क,कानपुर :चीन में ऊर्जा संकट के बाद अब यह सवाल भारत पर भी उठने लगे हैं कि क्या भारत में ऊर्जा संकट की स्थिति है। खासकर यह सवाल तब उठ रहा है, जब दुनिया के तीसरे सबसे बड़े कोयला भंडार भारत में है। इसके बावजूद भारत में कोयले का संकट गहराने लगा है। यह माना जा रहा है कि देश के कई पावर प्लांट्स में तीन से पांच दिन का ही कोयले का स्टाक शेष है। ऐसे में यह सवाल उठ रहे हैं कि क्या भारत में भी बिजली गुल हो जाएगी ? क्या सच में भारत की स्थिति चीन जैसी होगी ? भारत में कोयले की क्या स्थिति है ? भारत सरकार की क्या चिंताएं हैं ? भारत में यह हालात क्यों पैदा हुए ? इसके पीछे क्या बड़े कारण हैं ? इस सब प्रश्नों का जवाब देंगे हमारे ऊर्जा एक्सपर्ट नरेंद्र तनेजा जी।
सबसे पहले यह समझना होगा कि भारत में ऊर्जा संकट का नेचर चीन जैसा नहीं है। भारत में समस्या कोयले की नहीं है। भारत के पास प्रचुर मात्रा में कोयला है। भारत में कोयले के बड़े भंडार है, लेकिन देश में कुछ ऐसे हालात पैदा हुए जिसके कारण कोयला के उत्पादन में कमी आई है। इसके चलते देश के पावर प्लांट्स के पास कोयले के भंडार नहीं है। इन प्लांट्स के पास महज तीन से पांच दिन का ही कोयला शेष बचा है, जबकि उनके पास कम से कम 20 दिनों का भंडारण होना चाहिए। यह समस्या कोयले की नहीं, बल्कि उसके उत्पादन की है। इसको इस तरह से समझिए कि आपके पास धरती में प्रचुर मात्रा में कोयला मौजूद है, लेकिन उसका उत्पादन सीमित हो रहा है।
देश में पैदा होने वाली 70 फीसद बिजली थर्मल पावर प्लांट से आती है। कुल पावर प्लांट में से 137 पावर प्लांट कोयले से चलते हैं, इनमें से 7 अक्टूबर 2021 तक 72 पावर प्लांट में 3 दिन का कोयला बचा है। 50 प्लांट्स में 4 दिन से भी कम का कोयला बचा है। बता दें कि कोयला उत्पादन के क्षेत्र में भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा देश है। ग्लोबल एनर्जी स्टेटिस्टिकल इयरबुक 2021 के मुताबिक कोयला उत्पादन में चीन सबसे आगे है। हर साल चीन 3,743 मिलियन टन कोयले का उत्पादन करता है। वहीं, भारत हर साल 779 मिलियन टन कोयले का उत्पादन कर दूसरे नंबर पर है। इसके बावजूद भारत अपनी जरूरत का 20 से 25 फीसद कोयला दूसरे देशों से मंगवाता है।
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