अष्टमी के दिन बासी पदार्थ ही देवी को नैवेद्य के रूप में समर्पित किया जाता है और भक्तों के बीच प्रसाद के रूप में वितरित किया जाता है ।
News jungal Spitiual Desk : भगवती शीतला की पूजा का विधान भी विशिष्ट होता है. शीतला अष्टमी के एक दिन पूर्व उन्हें भोग लगाने के लिए बासी खाने का भोग यानी बसौड़ा तैयार कर लिया जाता है. शीतला अष्टमी के दिन बासी भोजन ही देवी को नैवेद्य के रूप में समर्पित किया जाता है और भक्तों के बीच प्रसाद के रूप में वितरित भी किया जाता है.
नकारात्मता से छुटकारा पाने के लिए- नेगेटिव चीजों के छुटकारा पाने के लिए शीतला अष्टमी के दिन शीतला माता की पूजा करने के बाद नीम के पेड़ की पूजा करनी चाहिए. नीम के पेड़ में जल देने के बाद सात बार परिक्रमा करें.
बीमारियों से बचने के लिए- बीमारियों से परिवार की रक्षा के लिए शीतला अष्टमी के दिन माता को हल्दी अर्पित करें. पूजा के बाद इस हल्दी को परिवार के सभी सदस्यों को लगाएं.
परिवार में खुशहाली के लिए – शीतला अष्टमी के दिन शीतला माता को जल समर्पित करें. इसके बाद इस जल को घर की सभी दिशाओं में छिड़कें,मुख्य द्वार के अलावा. इससे घर में सकारात्मकता आती है.
संपन्नता लाने के लिए- शीतला माता की पूजा के बाद गाय माता का पूजन करें. हिंदू धर्म में मान्यता है कि गाय माता में तैंतीस कोटि देवताओं का वास होता है. गाय की सेवा करने से सभी देवी-देवता प्रसन्न होते हैं और परिवार में सुख समृद्धि होती है .
अष्टमी के दिन ये भूल कर न करें
1- शीतला अष्टमी के दिन घर में झाड़ू न लगाये ।
2- शीतला अष्टमी के दिन भोजन न बनाये सप्तमी के दिन ही खाना बना के रख लें ।
3-शीतला अष्टमी के दिन गहरे रंग के कपड़े नही पहनने चाहिए ।
4- इस दिन मांस मदिरा का सेवन नही करना चाहिए ।
5- शीतला अष्टमी के दिन सिलाई ,कड़ाई नही करना चाहिए ।
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