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दिवाली2021: अतिशबाजी जलाने से होते है यह नुकसान

CM Ashok Gehlot Explain Why Crackers fireworks Ban - धर्म और पर्व नहीं,  बल्कि इस वजह से राजस्थान में पटाखों और आतिशबाजी पर लगी रोक

न्यूज जंगल डेस्क,कानपुरः कोरोना वायरस की वजह से लगे लॉकडाउन में एक बात अच्छी हुई, तो वो यह थी कि दिल्ली का आसमान, हवा साफ हो गई थी। ऐसा भले ही कुछ समय के लिए था लेकिन दिल्ली में रहने वाले लोगों के लिए यह बेहद खूबसूरत तोहफे से कम नहीं था। हालांकि, यह खूबसूरत आसमान एक बार फिर ग़ायब होता दिख रहा है। वजह है लॉकडाउन का खुलना, ट्रैफिक का बढ़ना, कराखानों का फिर शुरू होना, पराली का जलाना और दिवाली का आना। हर साल इस वक्त दिल्ली में प्रदूषण का स्तर बेहद ख़राब होता जाता है।आतिशबाजी की आवाज़ काफी तेज़ होती है, जो 140 डेसिबल से ऊपर जा सकती है। आपको बता दें कि मनुष्यों के लिए मानक डेसिबल स्तर 60 डेसिबल है।पटाखों से न सिर्फ पर्यावरण को नुकसान पहुंचता है, बल्कि इससे निकले वाले धुएं से आपकी सेहत को भी गंभीर नुकसान पहुंचता है। रिसर्च से पता चला है कि आतिशबाजी की वजह से इससे निकले वाले कैमिकल्स की वजह से हवा का स्तर बेहद ख़राब हो जाता है। यही वजह है कि हर साल पटाखों को न जलाने की सलाह दी जाती है।

अगर आप भी अभी तक इससे होने वाले नुकसानों के बारे में नहीं अनजान थे और आइए जानते हैं कि पटाखों से किस तरह सेहत को ख़तरा रहता है।

सस्पेंडेड पार्टिकुलेट मैटर (SPM) यानी निलंबित कण पदार्थ, गले, नाक और आंखों से जुड़ी दिक्कतों को जन्म दे सकते हैं। इसकी वजह से सिर दर्द भी हो सकता है।

पटाखों की वजह से होने वाले प्रदूषण की वजह से सेहत को कई तरह से नुकसान पहुंच सकता है, जैसे क्रोनिक ब्रोंकाइटिस, अस्थमा, COPD, सर्दी-ज़ुकाम, निमोनिया, लैरिनजाइटिस (वोकल कोर्ड का इंफेक्शन) आदि। यह आपकी सभी श्वसन स्वास्थ्य समस्याओं को भी बढ़ा सकता है।

पटाखों के फटने पर रंग निकलते हैं, जिन्हें बनाने के लिए रेडियोएक्टिव और ज़हरीले तत्वों का इस्तेमाल किया जाता है। यह तत्व लोगों में कैंसर के जोखिम को बढ़ावा दे सकते हैं।

आतिशबाज़ी की आवाज़ काफी तेज़ होती है, जो 140 डेसिबल से ऊपर जा सकती है। आपको बता दें कि मनुष्यों के लिए मानक डेसिबल स्तर 60 डेसिबल है।

क्या आप जानते हैं कि 85 डेसिबल से तेज़ आवाज़ सुनने से आपकी सुनने की शक्ति पर असर पर सकता है।

 डेसिबल का स्तर बढ़ने से बेचैनी, कुछ देर के लिए या हमेशा के लिए कान ख़राब हो सकते हैं, कान में तेज़ दर्द हो सकता है, नींद में खलल, उच्च रक्तचाप और यहां तक ​​कि दिल का दौरा भी पड़ सकता है।

– शोर का स्तर अगर ऊंचा हो, तो इससे गर्भवती महिलाओं, बच्चों और सांस की समस्याओं से पीड़ित लोगों में बेचैनी या अन्य दिक्कतें पैदा हो सकती हैं। इसके अलावा पटाखों से निकलने वाले हानिकारक धुएं से गर्भपात हो सकता है। इसलिए गर्भवती महिलाओं को इस दौरान घर पर रहने की ही सलाह दी जाती है।

पटाखों से खेलने से गंभीर तरह से जलने और अन्य चोटों की संभावना अधिक होती है, ख़ासतौर पर बच्चों के लिए काफी ख़तरनाक साबित हो सकते हैं। इसलिए मां-बाप को सलाह दी जाती है कि वे बच्चों को पटाखों के साथ अकेला न छोड़े और फर्स्ट-एड बॉक्स तैयार रखें।

यह भी देखेंःआज से कांग्रेस की तीन प्रतिज्ञा यात्रा शुरू,प्रियंका गांधी करेंगी रवाना

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