न्यूज जगंल डेस्क: कानपुर ग्रीनपार्क का डायरेक्टर्स पवेलियन रखरखाव के अभाव में गंदगी का ढेर बना हुआ है। विभाग के जिम्मेदारों को अपने ही विभाग के पवेलियन बिल्कुल भी फिक्र नही है। ऐसे में अंदाज़ लगाइये की अंतरराष्ट्रीय मैच की तैयारियां कितनी जोरों शोरों से चल रही है। 17 करोड की लागत से बने पवेलियन की दुर्दशा दिनों दिनों चर्चा का विषय बना हुआ है। फिर भी विभाग के अधिकारी सोये हुये है। लापरवाही यह है कि छत पर लगी फॉल सीलिंग के टुकडे भरभरा कर हर दिन गिर रहे है। बात यदि बाकी के ग्रीन पार्क के करे यो बाकी के पवेलियन बहुत ही बुरे हाल में है।



जिमेदारों के बेरुख़ी से बदहाल ग्रीन पार्क
इस पूरे मामले में उप निदेशक खेल की लापरवाही बार बार सामने आ रहा है। आख़िरकार एक अंतरराष्ट्रीय मैच 5 साल बाद ग्रीन पार्क को मिला है। उसके बाद भी समय से जरूरी काम पूरे नहीं होने पर मैच कैंसिल भी हो सकता है। अगले कुछ दिनों में ही दोनों टीमों का संयुक्त दौरा होने वाला है, तो ऐसे में ग्रीन पार्क को पूरी तरह से तैयार होना चाहिए। यही नही दीवारों पर थूक के पीक से दीवारें भी बदरंग हो चुकी है। खेल विभाग गंदगी को दूर करने के उपाय तो छोडिए उस ओर सोचता भी नही दिखायी दे रहा है। डायरेक्टर्स पवेलियन के दूसरी मंजिल पर गंदगी का आलम ये है कि पक्षी और छोटे जानवरों के शव भी अभी तक पडे हुए हैं। ग्रीनपार्क में जब टेस्ट मैच की तैयारियां पूरे जोरों पर शुरु हो रही है तो भी खेल विभाग की अधिकारी का ध्यान उस ओर नही जा रहा।
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लापरवाही पर पूर्व में हो चुका है एक्शन
गौरतलब है कि इससे पूर्व के अधिकारी को इसी बात की सजा मिली थी, कि वह इस पवेलियन का भी रखरखाव सही ढंग से नही करा पा रहे थे। इसके बाद भी वही उसी लापरवाही को दोहराया जा रहा है। खेल विभाग की अधिकारी केवल अपनी कुर्सी की ओर ध्यान देना अधिक उचित समझती है। यदि डायरेक्टर्स पवेलियन में फैली गंदगी की ओर वह अपनी निगाह भी उठा कर देख लिया जाता तो समस्या का समाधान हो चुका होता। बारिश का पानी छत से टपककर फर्श पर भरा दिखायी देता है। दीवारों पर काई की परतें जमी दिखाई दे रही है। फॉल सीलिंग कई स्थानों से पानी की तरह टपक चुकी है। इस बारे में जब खेल विभाग के अधिकारियों से बात की तो उन्होंने कुछ भी बोलने से इंकार कर दिया।