


न्यूज जंगल डेस्क,कानपुरः भारत में तीसरी लहर किसी भी वक्त आ सकती है, जिसमें सबसे ज़्यादा ख़तरा बच्चों के लिए बताया जा रहा है। ऐसे में कोवैक्सीन पहली ऐसी वैक्सीन है, जिसे 2 से 18 साल तक के बच्चों के लिए मंज़ूरी मिली है। SEC (विषय विशेषज्ञ समिति) की सिफारिशों के अनुसार, वैक्सीन को 2-18 साल की उम्र के बच्चों में उपयोग के लिए चुनिंदा रूप से अनुमोदित किया गया है, और इस वक्त DCGI अनुमोदन की प्रतीक्षा कर रहा है।
इस वक्त एक्सपर्ट्स WHO (विश्व स्वास्थ्य संगठन) से मंज़ूरी का इंतज़ार कर रहे हैं, इसी बीच बताया जा रहा है कि वैक्सीन, जो कि हैदराबाद स्थित भारत बायोटेक द्वारा विकसित एक स्वदेशी, निष्क्रिय वैक्सीन है, को कई चरणों में बच्चों को लगाई जाएगी। शॉट्स उन बच्चों को पहले लगाएं जाएंगे जो पहले से किसी गंभीर बीमारी से ग्रस्थ हैं। इस बात पर अभी बहस जारी है कि क्या वैक्सीन बच्चों पर भी उसी तरह काम करेगी जैसे वयस्कों पर करती है? ऐसे में इसके साइड इफेक्ट्स कैसे होंगे।
कोवैक्सीन की दो डोज़ 28 दिनों के अंतराल में लगाई जाती हैं, ताकि आपका इम्यून वायरस के खिलाफ प्रतिक्रिया करे। कुछ अध्ययनों से पता चला है कि बच्चों को वयस्कों की तुलना में सिर्फ एक ख़ुराक या कम ख़ुराक वाले टीके की ज़रूरत हो सकती है। लेकिन भारत में बच्चों को इस वक्त वयस्कों की तुलना कम ख़ुराक लगाए जाने की संभावना काफी कम है।
कोविड की दूसरी वैक्सीन की तुलना कोवैक्सीन में अभी तक कम साइड-इफेक्ट्स देखने को मिले हैं, लेकिन बच्चों में परीक्षण के दौरान जो सबसे आम साइड-इफेक्ट देखा गया वह था, फ्लू जैसे लक्षण, जो अपेक्षित हैं, और प्रतिक्रियाशील माने जाते हैं।
क्योंकि साइड-इफेक्ट्स को शरीर की प्रतिरोधक क्षमता का निर्माण करने के तरीके के रूप में लिया जाता है, कुछ साइड-इफेक्ट्स जिनकी उम्मीद की जा सकती है, उनमें बुखार, इंजेक्शन वाली जगह पर दर्द, सुस्ती, रेडनेस, शरीर में दर्द और थकान शामिल हैं, जो 2-3 दिनों में दूर हो जाते हैं।
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