CA death case: पुणे में एक 26 वर्षीय चार्टर्ड अकाउंटेंट की आत्महत्या का मामला सामने आया है। युवती की मां ने बॉस पर अत्यधिक काम का दबाव डालने का आरोप लगाया है। युवती ने मार्च 2024 में ईवाई पुणे में नौकरी शुरू की थी और जुलाई में आत्महत्या कर ली। मां ने कंपनी के अध्यक्ष को पत्र लिखकर न्याय की मांग की है।
महाराष्ट्र के पुणे में एक 26 साल की युवती की मौत का मामला तूल पकड़ रहा है। चार्टेड अकाउंटेंट रही युवती की मां ने युवती के बॉस पर आरोप लगाया है। उनका आरोप है कि उनके बेटी के बॉस ने उससे इतना काम लिया कि वह तनाव में आ गई थी। उसके ऊपर लगातार ज्यादा से ज्यादा काम का प्रेशर डाला जा रहा था, आखिर काम के बोझ में दबी उनकी बेटी की मौत हो गई। युवती ने मार्च 2024 में ही ईवाई पुणे नौकरी जॉइन की थी। उसने जुलाई में उसकी मौत हो गई, लेकिन अब यह मामला उसकी मां के लिखे गए भावुक पत्र के बाद चर्चा में आया है।
युवा चार्टर्ड एकाउंटेंट एना सेबेस्टियन पेरायिल की कथित रूप से अत्यधिक काम के दबाव के कारण मृत्यु हो गई। एना की मां अनीता ऑगस्टीन ने ईवाई इंडिया के अध्यक्ष राजीव मेमानी को एक पत्र लिखा है, जिसमें उन्होंने अपनी बेटी के लिए न्याय की मांग की है और संगठन के भीतर बदलाव का आह्वान किया है।
नौकरी के 4 महीने के अंदर मौत
अनीता ने पत्र में लिखा, ‘मैं यह पत्र एक दुखी मां के रूप में लिख रही हूं, जिसने अपने अनमोल बच्चे को खो दिया है। वह 19 मार्च, 2024 को एक कार्यकारी अधिकारी के रूप में ईवाई पुणे में शामिल हुईं। लेकिन चार महीने बाद, 20 जुलाई को, मेरी दुनिया ढह गई जब मुझे विनाशकारी खबर मिली कि एना का निधन हो गया है। वह सिर्फ 26 साल की थीं।’
एना को बताया योद्धा
एना को एक वॉरियर बताते हुए अनीता ने कहा, ‘काम के बोझ, नए वातावरण और लंबे समय तक काम करने से उन्हें शारीरिक, भावनात्मक और मानसिक रूप से नुकसान हुआ। जुड़ने के तुरंत बाद वह चिंता, अनिद्रा और तनाव का अनुभव करने लगी, लेकिन वह खुद को आगे बढ़ाती रही, यह मानते हुए कि कड़ी मेहनत और दृढ़ता सफलता की कुंजी है।’
टीम मैनेजर पर उठाए सवाल
अनीता ने लेटर में लिखा, ‘जब एना इस विशिष्ट टीम में शामिल हुई, तो उसे बताया गया कि कई कर्मचारियों ने अत्यधिक काम के बोझ के कारण इस्तीफा दे दिया है।’ टीम मैनेजर ने उससे कहा, ‘एना, तुम्हें हमारे टीम के बारे में हर किसी की राय बदलनी चाहिए।’ अनीता ने अपने पत्र में उल्लेख किया, ‘मेरे बच्चे को एहसास नहीं था कि वह अपने जीवन के साथ इसके लिए भुगतान करेगी।’
‘देर रात काम करने को किया जाता था मजबूर’
पत्र में आगे वर्णन किया गया है कि कैसे एना के पास बहुत ज्यादा काम था। अक्सर उसके पास आराम करने के लिए बहुत कम समय रहता था। उसका प्रबंधक अक्सर क्रिकेट मैचों के दौरान बैठकों को पुनर्निर्धारित करता था और दिन के अंत में उसे काम सौंपता था, जिससे उसका तनाव बढ़ जाता था। वह देर रात तक काम करती थी, यहां तक कि वीकेंड्स पर भी उसे काम करना पड़ता था। उसे चैन की सांस लेने का समय तक नहीं दिया जाता था।
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